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आपके बचपन की पुरानी यादें असल में यादें नहीं, कोरी कल्पना हैं; हम नहीं शोध कह रहा है

लंदन की टॉप यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि बचपन से जुड़ी यादें मात्र काल्पनिक बातें होती हैं। सर्वे के जरिए इस सिद्ध किया गया है।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 03:18 PM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 04:59 PM (IST)
आपके बचपन की पुरानी यादें असल में यादें नहीं, कोरी कल्पना हैं; हम नहीं शोध कह रहा है
आपके बचपन की पुरानी यादें असल में यादें नहीं, कोरी कल्पना हैं; हम नहीं शोध कह रहा है

लंदन (प्रेट्र)। कुछ लोगों को बचपन की बातें बहुत ही स्पष्ट रूप से याद रहती हैं। लेकिन अगर कहा जाए कि उनकी बचपन की पुरानी यादें और कुछ नहीं बल्कि एक कोरी कल्पना हैं, तो आप क्या कहेंगे। शायद यह आपको अटपटा लगे, लेकिन यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह लंदन के कुछ टॉप यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है। दरअसल यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन और नॉटिंघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी यूके के शोधकर्ताओं ने शोध कर यह पता लगाया कि लगभग 40 फीसद लोगों के पास पहली ऐसी यादें होती हैं जो काल्पनिक होती है।

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ये शोधकर्ता लोगों की सबसे पुरानी यादों के ऊपर किए सबसे बड़े सर्वे को पूरा करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं। किए गए शोध परिणाम ये बताते हैं कि लोगों की सबसे पहली यादें तीन साल और साढ़े तीन साल की उम्र की होती हैं। सर्वे में शामिल 6,641 प्रतिभागियों में से 38.6 फीसद लोगों ने ये दावा किया कि उनकी पहली यादें 2 साल या उससे भी कम उम्र की यादें हैं। जबकि उन्हीं में 893 लोगों ने ये कहा कि उनकी पहली यादें एक साल और उससे भी छोटी उम्र की हैं।

यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफॉर्ड की शाजिया अख्तर ने कहा कि हमने सुझाव दिया कि किसी भी इंसान के दिमाग में जो काल्पनिक यादें रहती हैं वह संभवत: उसके बचपन की यादें होती हैं। जैसे कि पुराने अनुभवों की दिमागी अवधारणा, चाहे उसके बचपन से जुड़ी कुछ जानकारियां या कुछ तथ्य। लोगों की सबसे पहली यादों (सबसे पुरानी यादों) को जांच करने के लिए शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों से उनकी सबसे पहली यादों के बारे में पूछा। उन्हें निर्देश दिया गया कि यह किसी पारिवारिक फोटो, पारिवारिक कहानी या ऐसे ही किसी प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित नहीं होना चाहिए।

इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि कई ऐसी यादें हैं जो दो साल या उससे कम उम्र की यादें थीं। शोधकर्ताओं का सुझाव था कि ये काल्पनिक यादें प्रारंभिक अनुभव के यादगार लम्हों पर आधारित हैं - जैसे कि प्रेम, पारिवारिक रिश्तों और उदासी के क्षण। ये यादें भी बचपन के ही किसी तथ्य या किन्ही घटनाओं पर आधारित थीं जो किसी फोटो या किसी वार्तालाप से ली गई थीं। 

शोधकर्ताओं के अनुसार, नतीजतन, इन शुरुआती यादों को याद करते समय अपने बचपन के बारे में याद किया जाता है। समय के साथ, जब वे दिमाग में आते हैं तो व्यक्ति के लिए वे आसानी से किसी विशेष समय से जुड़ी सामग्री के साथ 'यादें' बन जाती हैं।


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