ब्रिटेन के पूर्व PM ने तालिबान के कब्जे को लेकर चेताया, कट्टरपंथी इस्लाम दुनिया की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा
अमेरिका पर हुए 9/11 के आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर लंदन के थिंक टैंक रायल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट (आरयूएसआइ) के आयोजित कार्यक्रम में में ब्लेयर ने हाल ही में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर चेतावनी दी है।
लंदन, एजेंसी। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने चेतावनी देते हुए कहा कि कट्टरपंथी इस्लाम और ऐसे लक्ष्य को हासिल करने के लिए हिंसा का रास्ता यह दुनिया की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। अमेरिका पर हुए 9/11 के आतंकी हमले की 20वीं बरसी पर लंदन के थिंक टैंक रायल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट (आरयूएसआइ) के आयोजित कार्यक्रम में में ब्लेयर ने हाल ही में तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे को लेकर चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि कट्टरपंथी इस्लाम को जांच और परख से परे नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि तालिबान कट्टरपंथी इस्लाम की वैश्विक मुहिम का हिस्सा भर है। भले ही इसमें कई अलग-अलग संगठन शामिल हैं, लेकिन सबका मूल आदर्श एक ही है। कट्टरपंथी इस्लाम नासिर्फ इस्लामवाद में यकीन करता है, बल्कि इसे हासिल करने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाने की भी वकालत करता है। बल्कि वह धर्म को राजनीतिक विचारधारा में भी बदलता है। अन्य इस्लामवादी भी इस हिंसा से हमेशा सहमत होते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वैश्विक महामारी में हम सबके लिए खतरा बढ़ गया है। इस घातक वायरस ने हमें बता दिया है कि बायो-टेरर कोई काल्पनिक घटना नहीं, बल्कि प्रबल आशंका है। लेकिन अब हम ऐसे घातक हथियारों से किसी सरकार या देश के अलावा भी निशाना बन सकते हैं।
इसके पूर्व भी ब्लेयर ने अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों की वापसी को मूर्खतापूर्ण कदम बताया था। उन्होंने कहा था कि इस फैसले से पूरी दुनिया के आतंकी-जिहादी संगठन खुशियां मना रहे हैं। ब्लेयर का यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 20 साल पहले उनके कार्यकाल में ही ब्रिटिश सैनिकों की तैनाती अफगानिस्तान में की गई थी। संख्या के लिहाज से अमेरिका के बाद ब्रिटेन के ही सर्वाधिक सैनिक अफगानिस्तान में तैनात थे।
अपनी वेबसाइट में लिखे लेख में ब्लेयर ने कहा था कि सैनिकों की अचानक और एकसाथ वापसी ने तालिबान को वह सब फिर से पाने का मौका दे दिया, जो उसने बीते 20 साल में खोया था। अफगानिस्तान को जो तरक्की मिली थी, वह खत्म हो गई। अफगानिस्तान ने जो खोया उसमें बेहतर जिंदगी के मौके और लड़कियों की शिक्षा मुख्य हैं। अफगानिस्तान की यह दशा न अफगान आबादी के लिए अच्छी है और न बाकी दुनिया के लिए। ब्लेयर 1997 से 2007 के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे हैं। उनके ही कार्यकाल में ब्रिटेन ने अमेरिका के नेतृत्व में 2003 में लड़े गए इराक युद्ध में हिस्सा लिया था।