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ब्रुसेल्स में UK-EU के बीच अंतिम राउंड की वार्ता, दोनों पक्षों में जारी है सौदेबाजी

ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक समझौते को लेकर कुल 8 दौर की वार्ता हो चुकी है और अब नवां और अंतिम दौर की वार्ता होने जा रही है। दोनों पक्ष की ओर से खूब सौदेबाजी की जा रही है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 02:29 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 02:29 PM (IST)
ब्रेक्जिट के बाद ब्रुसेल्स में UK-EU की फाइनल वार्ता

मास्को, एएनआइ। ब्रिटेन ( United Kingdom) और यूरोपीय संघ (European Union, EU) के बीच मंगलवार से ब्रुसेल्स में 9वें  और अंतिम राउंड की वार्ता शुरू होगी। पिछले 8 राउंड की वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच जमकर सौदेबाजी हुई। यूरोपीय संघ के लिए बातचीत मिचेल बार्नियर (Michel Barnier) कर रहे हैं वहीं ब्रिटेन के लिए डेविड फ्रॉस्ट (David Frost) । यूरोपीय संघ का कहना है कि बातचीत की सफलता ब्रिटेन पर निर्भर करती है क्योंकि ब्रिटेन समंदर में मछली पकड़ने और राजकीय सहायता नियमों में कोई ढील नहीं दे रहा है। ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ का मुख्यालय है और इसका मानना है कि अक्टूबर मध्य तक दोनों पक्षों में समझौता शायद ही हो पाए  क्योंकि नियम और शर्तों को यूरोपीय संसद में पास भी करवाना है। 

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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (British Prime Minister Boris Johnson) ने यूरोपीय संघ को 15 अक्टूबर तक का समय दिया है कि यूरोपीय संघ 15 अक्टूबर तक ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता कर ले। बोरिस का ये बयान यूरोपीय संघ की उस धमकी के बाद आया है कि हो सकता है ब्रिटेन-यूरोपीय के बीच व्यापार समझौता हो ही न पाए। 

 ब्रिटेन के वार्ताकार डेविड फ्रॉस्ट ने कहा, 'यूरोपीय संघ अभी भी न सिर्फ इस बात पर जोर दे रहा है कि हमें यूरोपीय संघ की राज्य सहायता और मछली पालन नीति को स्वीकार करना चाहिए, बल्कि वह इस बात पर भी जोर दे रहा है कि वार्ता में किसी भी महत्वपूर्ण प्रगति से पहले इस पर सहमति दी जानी चाहिए।' कनाडा और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए जारी वार्ता की तर्ज पर ब्रिटेन भी यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता चाहता है। दूसरी ओर यूरोपीय संघ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि इस तरह के समझौते पर चर्चा करने से पहले श्रमिकों के अधिकारों, पर्यावरण और सरकारी सब्सिडी सहित कई मुद्दों पर दोनों के नियम समान हों।

ब्रिटेन के मतदाताओं ने साढ़े तीन साल पहले यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए हुए जनादेश दिया था जिसे ब्रेक्जिट नाम दिया गया।  23 जून 2016 को जनमत संग्रह में 52 फीसद वोटरों ने ब्रेक्जिट का समर्थन किया और 48 फीसद इसके विरोध में थे। 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन की घड़ी में रात के 12 बजने के साथ ही ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हो गया।


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