रक्त जांच से छह माह पहले ही लग सकेगा टीबी का अनुमान
शोधकर्ताओं को पांच मिनट से ज्यादा समय तक सांस रोकने की विधि में दिल की अनियमित धड़कन के इलाज की संभावना दिखी है।
लंदन, एजेंसियां। भारतवंशी समेत शोधकर्ताओं के एक दल को टीबी के खतरे को महीनों पहले ही भांप लेने में बड़ी सफलता मिली है। उन्होंने पाया है कि लोगों के बीमार पड़ने से तीन से छह माह पहले ही टीबी का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे बेहतर इलाज और लाखों लोगों की जिंदगी बचाने में मदद मिल सकती है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार, रक्त में अगर कोई जीन सिग्नेचर पाया जाता है तो इसके उपयोग से लक्षण दिखने से बहुत पहले ही टीबी का अनुमान लगाया जा सकता है। शोधकर्ता और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर महदाद ने कहा, 'हमारे अध्ययन के नतीजों से जाहिर होता है कि रक्त में जीन सिग्नेचर से लोगों में टीबी के खतरे की पहचान हो सकती है। इन नतीजों के आधार पर आने वाले समय में नई रक्त जांच विकसित हो सकती है। इससे इस घातक बीमारी की रोकथाम में मदद मिल सकती है।' (आइएएनएस)
सांस रोकने की विधि में अनियमित धड़कन के इलाज की दिखी उम्मीद
शोधकर्ताओं को पांच मिनट से ज्यादा समय तक सांस रोकने की विधि में दिल की अनियमित धड़कन के इलाज की संभावना दिखी है। उन्होंने यह पाया कि इस विधि के उपयोग से हृदय संबंधी कार्डिक एरिथमिया जैसी दिक्कतों के लिए नया उपचार विकसित किया जा सकता है।
ब्रिटेन की बर्मिघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, इस विधि को सबसे पहले इस्केमिक हार्ट डिजीज की पहचान के लिए प्रस्तावित किया गया था। इस विधि में तेजी से गहरी सांस लेने (हाइपरवेंटिलेशन) और मास्क से सांस लेने के तरीके मैकेनिकली हाइपरवेंटिलेशन को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने इस तरीके को रोगियों के लिए सुरक्षित पाया। इस प्रक्रिया में रोगियों को फिर रेडियोथेरेपी से गुजारा गया। इसमें उन टिश्यू को नष्ट किया गया, जिनके गलत विद्युत संकेत अनियमित धड़कन का कारण बनते हैं। (एएनआइ)