सावधान..दो नहीं, पांच तरह का होता है मधुमेह, शोध में सामने आई बात
अब मधुमेह के और प्रकारों के बारे में जानकारी सामने आई है। फिनलैंड और स्वीडन में हुए शोध के बाद विशेषज्ञों ने पांच तरह के मधुमेह की पहचान की है।
लंदन (आइएएनएस)। अभी तक लोग दो तरह के मधुमेह से ही अवगत हैं, लेकिन एक नवीन अध्ययन में सामने आया है कि वास्तव में यह बीमारी पांच अलग-अलग तरह की हो सकती है। इस नए अध्ययन से मधुमेह के बेहतर उपचार का तरीका तलाशने में मदद मिल सकती है। वर्तमान में मधुमेह को टाइप-1 और टाइप-2 के रूप में जाना जाता है।
टाइप-1 डायबिटीज प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित बीमारी है, जिसमें शरीर में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है। वहीं, टाइप-2 डायबिटीज में शरीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी हो जाता है। दुनियाभर में इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों में जहां 10 फीसद टाइप-1 से पीड़ित होते हैं तो 85 से 90 फीसद लोग टाइप-2 से ग्रसित होते हैं।
अब मधुमेह के और प्रकारों के बारे में जानकारी सामने आई है। फिनलैंड और स्वीडन में हुए शोध के बाद विशेषज्ञों ने पांच तरह के मधुमेह की पहचान की है। उनका कहना है कि इस अध्ययन के जरिए मधुमेह के इलाज में बड़े पैमाने पर बदलाव की उम्मीद की जा रही है।
विशेषज्ञों ने दी ये थ्योरी
नए अध्ययन के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि टाइप-1 डायबिटीज को प्रतिरक्षा तंत्र से संबंधित गंभीर बीमारी की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। टाइप-2 डायबिटीज को चार श्रेणियों में बांटा जाना चाहिए। इसमें दो गंभीर और दो साधारण डायबिटीज की श्रेणी में बांटा जाना चाहिए।
इस तरह किया जाना चाहिए विभाजन
विशेषज्ञों के मुताबिक, इसमें से पहली श्रेणी में गंभीर रूप कम इंसुलिन वाली डायबिटीज जिसमें हाई ब्लड शुगर के मरीजों, कम इनसुलिन उत्पादन वाले और सामान्य रूप से इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी वाले मरीजों को रखा जाना चाहिए। दूसरे गंभीर इंसुलिन के प्रति प्रतिरोधी डायबिटीज का संबंध मोटापे से है। हल्के मोटापे से संबंधित डायबिटीज में मोटापे के शिकार लोगों को रखा जा सकता है।
हालांकि यह कम गंभीर बीमारी है और इसमें ऐसे लोगों को रखा जा सकता है, जो कम उम्र में इसका शिकार हो जाते हैं। अंतिम समूह में उम्र से संबंधित हल्की डायबिटीज के लोगों को रखा जा सकता है। हालांकि यह सबसे बड़ा समूह होगा, जिसमें डायबिटीज के 40 फीसदी मरीज होंगे और ज्यादातर उम्रदराज होंगे।
इस तरह किया अध्ययन
स्वीडन स्थित ल्युंड यूनिवर्सिटी डायबटीज सेंटर और फिनलैंड के इंस्टीट्यूट फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 14,775 मधुमेह के मरीजों के खून की जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है। यह नतीजे लैंसेट डायबिटीज एंड एंटोक्रिनोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। इसमें बताया गया है कि मधुमेह के मरीज को पांच अलग-अलग क्लस्टर में विभाजित किया जा सकता है।
ल्युंड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और प्रमुख शोधकर्ता लीफ ग्रूप के मुताबिक, यह अध्ययन मरीज केंद्रित इलाज शुरू करने की ओर पहला कदम हो सकता है। मधुमेह की मौजूदा श्रेणी और लक्षण व इलाज भविष्य में होने वाली समस्याओं के बारे में नहीं बताती है।
डायबिटीज यूके की डॉक्टर एमिली बंर्स के मुताबिक, इसकी अन्य उप श्रेणियों की मदद से विशेषज्ञ मरीज की परिस्थिति के हिसाब इलाज कर सकेंगे। यह शोध टाइप-2 डायबिटीज को और श्रेणियों में बांटता है और बीमारी के बारे में अधिक समझ विकसित करता है।
अब स्मार्ट लेंस करेगा ब्लड शुगर की जांच
डायबिटीज से पीडि़तों के लिए अच्छी खबर है। अब उन्हें ब्लड शुगर की जांच के लिए सुई से शरीर का गुदवाना नहीं पड़ेगा। दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने ब्लड शुगर की जांच के लिए एक स्मार्ट लेंस विकसित किया है। यह लेंस आंसू से ब्लड शुगर की मात्रा की जांच कर सकता है।
नए स्मार्ट लेंस में लचीले और पारदर्शी पदार्थ से बने इलेक्ट्रोड का उपयोग किया गया है। इसमें एक ग्लूकोज सेंसर, एलईडी पिक्सल के साथ वायरलेस एंटीना भी लगा है। सेंसर की मदद से मरीज के ब्लड शुगर के स्तर से जुड़ी जानकारी एंटीना तक पहुंचाती है और कुछ समय में ही टेस्ट पूरा हो जाता है।
अल्सान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने यह टेस्ट अभी खरगोश पर किया है। मनुष्य पर इसका परीक्षण किया जाना बाकी है। प्रयोग से जुड़े वैज्ञानिक जिहुन पार्क ने बताया, 'इस प्रयोग के सफल हो जाने पर इससे मनुष्य की आंख और अन्य शारीरिक अंगों के रोगों का भी पता लगाया जा सकेगा।'