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कोरोना के कुछ टीकों से एड्स जोखिम में वृद्धि की चेतावनी, शोध में दावा

साल 2007 में एडिनोवायरस-5 (एडी-5) वेक्टर का उपयोग करके एचआइवी के लिए एक टीका बनाया गया था। परीक्षण में यह टीका असफल रहा और पाया गया कि जिन लोगों में एचआइवी संक्रमण की उच्च संभावना थी टीका दिए जाने के बाद वे लोग वायरस की चपेट में अधिक आए।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 01:43 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 01:43 PM (IST)
कोरोना के कुछ टीकों से एड्स जोखिम में वृद्धि की चेतावनी, शोध में दावा
लोगों में एड्स के प्रति बढ़ सकती है संवेदना

लंदन, जेएनएन। दि लैंसेट पत्रिका में शोधकर्ताओं के एक समूह ने आगाह किया है कि कोविड-19 के कुछ टीकों से लोगों में एड्स वायरस (एचआइवी) के प्रति संवेदनशीलता बढ़ सकती है। दरअसल, साल 2007 में एडिनोवायरस-5 (एडी-5) वेक्टर का उपयोग करके एचआइवी के लिए एक टीका बनाया गया था, जिसका प्लेसिबो- नियंत्रित परीक्षण किया गया था। परीक्षण में यह टीका असफल रहा और पाया गया कि जिन लोगों में एचआइवी संक्रमण की उच्च संभावना थी, टीका दिए जाने के बाद वे लोग एड्स के वायरस की चपेट में अधिक आए। इन नतीजों को देखते हुए दक्षिण अफ्रीका में चल रहे इसी टीके के अन्य अध्ययन को रोक दिया गया था।

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अब कोविड-19 की रोकथाम के लिए जो टीके बनाए जा रहे हैं, उनमें से कुछ टीकों को बनाने में अलग-अलग एडिनोवायरस का उपयोग किया जा रहा है। विभिन्न एडिनोवायरस मामूली सर्दी-जुकाम, बुखार, डायरिया से लेकर तंत्रिका संबंधी समस्याओं तक के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं, लेकिन कोविड-19 के चार प्रत्याशित टीकों में वेक्टर के रूप में एडिनोवायरस-5 का उपयोग किया गया है। इनमें से एक टीका चीन की केनसाइनो कंपनी द्वारा बनाया गया है, जिसका परीक्षण रूस और पाकिस्तान में लगभग 40,000 हजार लोगों पर चल रहा है।

इसके अलावा सऊदी अरब, ब्राजील और मैक्सिको में भी इसका परीक्षण करने का विचार है। एक अन्य टीका रूस के गेमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार किया गया है, जिसमें उन्होंने एडी-5 और एडी-26 वेक्टर के संयोजन का उपयोग किया है। इम्युनिटीबायो नामक कंपनी द्वारा बनाए गए एडी-5 आधारित टीके को भी अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा मानव परीक्षण की मंजूरी मिल गई है और दक्षिण अफ्रीका में भी इसके परीक्षण की संभावना है।

पूर्व में एडी-5 आधारित टीके से लोगों में एचआइवी संक्रमण का जोखिम बढ़ गया था और अब कोविड-19 के लिए बने एडी-5 आधारित टीकों का परीक्षण जल्द ही दक्षिण अफ्रीका जैसी उन जगहों पर भी शुरू होने की संभावना है, जहां एचआइवी का प्रसार अधिक है। इसलिए एचआइवी टीके के अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के इन टीकों से एचआइवी संक्रमण का जोखिम बढ़ने की चेतावनी दी है।

कोविड-19 रोकथाम नेटवर्क में शामिल लॉरेंस कोरे का मत है कि यदि कोविड-19 टीके के अन्य विकल्प हैं तो एचआइवी के जोखिम वाली जगहों पर ऐसे टीके को नहीं चुनना चाहिए, जिनसे एचआइवी का जोखिम और बढ़े। हालांकि यह पूरी तरह स्पष्ट नहीं है कि एडी-5 आधारित टीका कैसे एचआइवी का जोखिम बढ़ाता है, लेकिन लैसेंट में बताया गया है कि शायद यह एचआइवी इम्युनिटी कम कर देता है और एड्स वायरस की प्रतियां बनाना बढ़ा देता है या फिर अधिक कोशिकाएं मार गिराता है।

वहीं इम्युनिटीबायो कंपनी का कहना है कि पूर्व अध्ययन के परिणाम अस्पष्ट थे। नए टीके में एडी-5 वायरस से चार ऐसे जींस हटा दिए गए हैं, जो इस संभावना को ट्रिगर कर सकते हैं। उपयुक्त एडी-5 वायरस 90 फीसद उत्परिवर्तित है। इम्युनिटीबायो ने दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों और नियामकों के साथ वहां अपने टीके का परीक्षण करने के जोखिमों पर चर्चा की है और उन्हें लगता है कि कम जोखिम वाले लोगों पर इसका परीक्षण किया जा सकता है।


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