जानिए आखिर कैसे Lungs Cancer के शिकार नौ मरीजों को डॉक्टरों ने दिया नया जीवन
लंदन के डॉक्टरों ने फेफड़े के कैसर से पीड़ित ऐसे नौ मरीजों का इस नई तकनीक से इलाज किया जिनके ऊपर परंपरागत शल्य चिकित्सा का तरीका अपनाया नहीं जा सकता था।
लंदन। दुनिया में हर साल लाखों लोगों को असमय काल कवलित करने वाले फेफड़े के कैंसर को वैज्ञानिकों ने मुंहतोड़ जबाव दिया है। लंदन के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने फेफड़े के कैंसर से पीड़ित ऐसे नौ मरीजों को जीवनदान दिया है, जिनके जीवन की उम्मीद लोग छोड़ चुके थे।
हैरत की बात यह है कि इस तकनीक में सीने में न तो चीरा लगाने की जरूरत होती है और न ही प्रभावित फेफड़े को काटा जाता है। जिन नौ मरीजों का इस तकनीक से इलाज किया गया, वे सब पिछले एक साल से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। ‘माइक्रोवेव एबलेशन’ नामक इस तकनीक को इस मर्ज के लिए भविष्य का रामबाण माना जा रहा है।
क्रांतिकारी तकनीक
लंदन के सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल के डॉक्टरों ने फेफड़े के कैसर से पीड़ित ऐसे नौ मरीजों का इस नई तकनीक से इलाज किया जिनके ऊपर परंपरागत शल्य चिकित्सा का तरीका अपनाया नहीं जा सकता था। साथ ही रेडियोथेरेपी भी उनके ऊपर असरहीन हो चुकी थी।
न चीरा न कोई चीख
दस मिनट के इस इलाज की प्रक्रिया में मरीज के न तो आपरेशन की जरूरत होती है और न ही उसके फेफड़े से कोई छेड़छाड़ की जाती है। बस सीटी स्कैन कराने के बाद पीड़ित को एनेस्थेसिया देकर इलाज किया जाता है। हालांकि इसमें कैंसर के शुरुआती चरण में पता चलना जरूरी है।
चीरारहित यह तकनीक इस मर्ज का समाधान हो सकती है। पीड़ितों का इस तकनीक से इलाज के बाद स्वस्थ होते देखना अद्भुत लगता है। पूरी प्रक्रिया के बाद उन्हें कोई दर्द नहीं होता और आमतौर पर अगले दिन ही अपने घर चले जाते हैं।
केल्विन लाउ, तकनीक के खोजकर्ता
फेफड़े का कैंसर
जब फेफड़ों के किसी भाग में कोशिकाओं की अनियंत्रित व असामान्य वृद्धि होने लगती है, तो इस स्थिति को फेफड़े का कैंसर कहते हैं। फेफड़े के कैंसर का शुरुआती दौर में पता नहीं चलता और यह अंदर ही अंदर बढ़ता जाता है। वास्तव में, फेफड़े का कैंसर फेफड़े के बाहर भी बढ़ जाता है और इसके लक्षण भी अक्सर पता नहीं चलते हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका पूरी तरह से इलाज अब भी नहीं मिल पाया है। शरीर के अलग-अलग हिस्सों में होने वाला कैंसर अक्सर जानलेवा साबित होता है। फेफड़े का कैंसर एक गंभीर मर्ज है, लेकिन आधुनिक मेडिकल साइंस में हुई प्रगति के कारण अब इस कैंसर से छुटकारा संभव है...
कैंसर के प्रकार
1. स्माल सेल लंग कैंसर (एससीएलसी): यह सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाला फेफड़े का कैंसर है। यह कैंसर धूम्रपान के कारण होता है। एससीएलसी शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलता है और अक्सर जब यह ज्यादा फैल चुका होता है, तब ही इसका पता चलता है।
2.नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (एनएससीएलसी): यह ऐसा कैंसर है, जिसे तीन प्रकारों में विभक्त किया जा सकता है। इनके नाम ट्यूमर में मौजूद सेल्स के आधार पर होते हैं। जैसे एडिनोकार्सिनोमा, स्क्वेमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा।
लक्षणों को जानें
- सांस फूलना।
- वजन कम होना।
- खांसी जो लगातार बनी रहती है।
- बलगम के रंग और मात्रा में बदलाव आना।
- खांसी के साथ खून निकलना।
- सीने में बार-बार संक्रमण होना और सीने में लगातार दर्द का बने रहना।
एक बड़ी चुनौती
देश में फेफड़े के कैंसर की पहचान शुरुआती दौर में कर लेना एक बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि देश में टी.बी.के मामले बहुत अधिक हैं। फेफड़े के कैंसर के अधिकांश लक्षण फेफड़े की टी.बी.से मिलते हैं। अधिकांश मामलों में जो मरीज फेफड़े के कैंसर के लक्षणों के बारे में बताता है, उसे बिना किसी परीक्षण के टी.बी. का मरीज बता दिया जाता है। इसलिए फेफड़े के कैंसर के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है और इसका पता करने के लिए उचित परीक्षण करना चाहिए।
बचाव
फेफड़े के कैंसर से बचने के लिए किसी भी तरह के धूम्रपान से दूर रहना आवश्यक है। सुबह के वक्त टहलें और जहां तक संभव हो प्रदूषण वाले माहौल से बचें। दोपहिया वाहन सवार व्यक्ति वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। प्राणायाम करने से फेफड़े सशक्त होते हैं।