कैद करने से तो धरती से खत्म हो जाएंगे हाथी, दूसरे जीवों के अस्तित्व पर भी संकट, जाने कैसे
वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में बताया है कि हाथियों को कैद में रखने से उनकी आबादी घटती है। यह अध्ययन के नतीजों से हाथी संरक्षण के साथ ही कई दूसरे जीवों बचाया जा सकता है।
लंदन, प्रेट्र। हाथियों को कैद में रखने से न सिर्फ उनकी आबादी घटती है, बल्कि इससे उनके बच्चों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। एशियन पैकिडर्म (एशिया महाद्वीप में पाए जाने वाले मोटी चमड़ी के जानवर) पर किए गए एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। इस अध्ययन के परिणामों से हाथी संरक्षण के प्रयासों में और सुधार लाने में मदद मिल सकती है। साथ ही कई दूसरे जीवों को भी विलुप्त होने से बचाया जा सकता है।
प्रजनन क्षमता होती है प्रभावित
ब्रिटेन की शेफील्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि जंगलों से हाथियों को पकड़ने के बाद उन्हें कैद में रखने से उनकी आबादी पर लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी' नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, जंगल से पकड़े गए हाथियों को कैद करने से उनकी प्रजनन क्षमता कम होने लगती है।
कम हो जाती है बच्चों के जीवित रहने की संभावना
अध्ययन में फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ टुकरू और म्यांमार टिंबर इंटरप्राइजेज के शोधकर्ता भी शामिल थे। इस दौरान उन्होंने पाया कि जंगली हाथी को कैद में रखने का नकारात्मक प्रभाव उसकी अगली पीढ़ी पर भी पड़ता है। ऐसे हाथियों के बच्चों की जीवित रहने की संभावना भी कम हो जाती है।
टिंबर और पर्यटन उद्योग में किया जाता है उपयोग
शोधकर्ताओं ने कहा कि वर्तमान में भारत, म्यांमार और थाइलैंड जैसे देशों में लगभग 16 हजार एशियाई हाथी कैद में हैं। यहां इनका उपयोग टिंबर और पर्यटक के क्षेत्र में किया जाता है। इन उद्योगों को बनाए रखने के लिए जंगलों से हाथियों को पकड़ना आज भी जारी है, जो चिंता का विषय है।
कैद में रखने का प्रभाव उनके बच्चों पर
शोधकर्ताओं ने कहा कि कई जानवरों को जगंलों से पकड़ कर कैद में रखा जाता है और अक्सर उन्हें पालतू बनाने के लिए कई तरह की यातनाएं दी जाती हैं। इसका उनके जीवन पर कितना प्रभाव पड़ता है? यह पता करने के साथ ही उनके संरक्षण के तरीकों में बदलाव लाने के लिए यह अध्ययन किया गया है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने कहा कि जंगली पशुओं को कैद करने का प्रभाव उनके बच्चों पर भी पड़ता है।
विलुप्त हो सकते हैं कई जीव
यूनिवर्सिटी ऑफ शेफील्ड के शोधकर्ता और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक जॉन जैक्सन ने कहा, ‘हमें जानवरों के संरक्षण कार्यक्रमों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने की जरूरत है। अपनी जरूरतों को देखते हुए हम जानवरों को कैद में तो रख लेते हैं पर यह ध्यान नहीं देते कि इससे उनके जीवन पर क्या असर पड़ेगा। उन्होंने कहा यदि ऐसा ही चलता रहा तो भविष्य में कई जानवर विलुप्त होने की कगार पर भी पहुंच सकते हैं।’