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ब्रिटेन में सिखों को नहीं मिल सका धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा, जनगणना में की गई थी अलग पहचान देने की मांग

ब्रिटेन में सिख समुदाय खुद को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित कराने की लड़ाई हार गया है। लंदन हाईकोर्ट ने कहा है कि सिख समुदाय को जनगणना में धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा पाने का अधिकार नहीं है। इससे पहले ब्रिटेन की एक अदालत ऐसी याचिका खारिज कर चुकी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 09:10 PM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 09:10 PM (IST)
ब्रिटेन में सिखों को नहीं मिल सका धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा, जनगणना में की गई थी अलग पहचान देने की मांग
ब्रिटेन में सिख समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा नहीं नहीं मिल सका है...

लंदन, एजेंसियां। ब्रिटेन में सिख खुद को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित किए जाने की लड़ाई फिलहाल हार गए हैं। लंदन हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि सिख समुदाय को जनगणना में धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा पाने का अधिकार नहीं है। ब्रिटेन में 2021 में होने वाली जनगणना में सिख समुदाय अपने लिए अलग उल्लेख की मांग कर रहा था। लेकिन जब सरकार ने उनकी यह मांग नहीं मानी तो वह कोर्ट में आया था।

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फैसला सुनाने वाली जस्टिस अखलाक चौधरी की पीठ ने सिख फेडरेशन यूके (एसएफयूके) के प्रमुख अमरीक सिंह गिल की उस मांग को भी खारिज कर दिया जिसमें आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी। गिल ने कहा है कि जनगणना फॉर्म में सिखों का धार्मिक अल्पसंख्यक के रूप में उल्लेख न होने से उनकी ब्रिटेन में आबादी का पता नहीं चल पाएगा।

जस्टिस चौधरी ने अपने आदेश में कहा है कि जनगणना के लिए तैयार मौजूदा प्रपत्र लोगों को उनकी पहचान स्पष्ट करने से नहीं रोकता, जैसा कि सिख समुदाय की याचिका में दावा किया गया है। एसएफयूके की ओर से कोर्ट में पेश कानूनी संस्था ली डे ने दावा किया था कि ब्रिटिश कैबिनेट का फैसला गैरकानूनी है। इससे पहले जस्टिस बेवेर्ली लैंग की कोर्ट भी सिखों की याचिका को खारिज कर चुकी है।

उक्त कोर्ट ने भी ब्रिटिश कैबिनेट के फैसले को गैरकानूनी मानने से इन्कार कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद एसएफयूके ने कहा है कि सिखों को अलग पहचान दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी। आने वाले समय में इस पहचान के लिए हर संभावित स्थान पर प्रयास किए जाएंगे।


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