तय वक्त पर यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन का अलग होना मुश्किल
ईयू से अलगाव के लिए और वक्त की मांग के प्रस्ताव पर हाउस ऑफ कॉमंस में मतदान होना है। प्रधानमंत्री मे ने सांसदों से खुले मन से मतदान करने को कहा है।
लंदन, प्रेट्र। यूरोपीय यूनियन (ईयू) से ब्रिटेन के अलगाव की प्रक्रिया ब्रेक्जिट को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अलगाव की शर्तो को लेकर ब्रिटेन में आम सहमति नहीं बन पाई है, जिससे तय समय पर ईयू से ब्रिटेन के अलगाव की उम्मीद कम हो गई है। अलगाव की आखिरी तारीख 29 मार्च है। ब्रिटेन की संसद में अलगाव की समय बढ़ाने से संबंधित प्रस्ताव पर आज मतदान होना है। ईयू भी समय बढ़ाने पर राजी नजर आता है।
ईयू से ब्रिटेन के अलग होने के बाद संबंधों को लेकर संघ के नेताओं और प्रधानमंत्री टेरीजा मे के बीच ब्रेक्जिट समझौता हुआ था। लेकिन ब्रिटिश संसद ने पहले जनवरी में और फिर दो दिन पहले इसे खारिज कर दिया। बिना किसी समझौते के ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के प्रस्ताव को भी संसद ने नकार दिया है। ऐसे में अब ब्रिटेन के सामने दो ही विकल्प बचे हैं, या तो वह ईयू के साथ बना रहे या फिर अलग होने के लिए कुछ और मोहलत मांगे। अगर ब्रिटेन साथ बने रहने का फैसला करता है तो यह उस जनादेश का उल्लंघन होगा, जिसमें 2016 में जनमत संग्रह में लोगों के संघ से अलग होने पर मुहर लगाई थी।
ईयू से अलगाव के लिए और वक्त की मांग के प्रस्ताव पर हाउस ऑफ कॉमंस में मतदान होना है। प्रधानमंत्री मे ने सांसदों से खुले मन से मतदान करने को कहा है। लेकिन इसको लेकर तैयार प्रस्ताव को बहुत ही चालाकी से तैयार किया गया है। इसमें बिना समझौते के अलगाव के दुष्परिणामों का उल्लेख किया गया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि बिना किसी समझौते अलग होने का मतलब है कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के अपने-अपने कानून स्वत: ही लागू हो जाएंगे। मे ने चेताया है कि अगर ऐसा होता है इसके लिए हम सभी जिम्मेदार होंगे। उन्होंने ईयू से और वक्त मांगने की बात कहते हुए सांसदों से भी ब्रेक्जिट समझौते पर सहमति बनाने की अपील की है। मे सरकार ईयू से 30 जून तक का वक्त मांग सकती है।
वहीं, ब्रुसेल्स में यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनाल्ड टस्क ने गुरुवार को कहा कि ईयू के सदस्य देश ब्रिटेन को और वक्त देने पर राजी हो सकते हैं, ताकि मे को अपने कुछ अडि़यल मुद्दों पर विचार करने का मौका मिल सके। इसको लेकर ईयू के नेताओं की 21 मार्च को बैठक होगी। अगर ईयू अलगाव के लिए ब्रिटेन को और वक्त देने पर राजी हो जाता है तो ब्रेक्जिट समझौते का विरोध करने वाले ब्रिटिश सांसदों को मे के करार पर विचार करने का समय मिल जाएगा। वह बातचीत के जरिए ब्रेक्जिट समझौते के किसी नए प्रारूप पर सहमति बना सकते हैं।