देश की आधे से भी कम आबादी को कोरोना वैक्सीन देगा ब्रिटेन, बताई ये वजह
रविवार को यूके वैक्सीन टास्कफोर्स की अध्यक्ष केट बिंघम ने बताया कि काफी समय से लोगों को यह कहते सुना जा रहा है कि देश की पूरी आबादी को वैक्सीनेट किया जाएगा जबकि ऐसा नहीं है। हमारा लक्ष्य सबसे पहले उन लोगों को वैक्सीनेट करना है जिन्हें ज्यादा खतरा है।
लंदन, आइएएनएस। कोरोना वैक्सीन को लेकर ब्रिटेन ने कहा है कि अगर कोई प्रभावी वैक्सीन मिलती है तो हमारा पहला लक्ष्य देश की उस आबादी को वैक्सीनेट करना होगा जिन्हें खतरा ज्यादा है। यूके वैक्सीन टास्कफोर्स की अध्यक्ष केट बिंघम (Kate Bingham) ने कहा कि हमारा लक्ष्य, देश की पूरी आबादी को वैक्सीनेट ना करके उन्हें वैक्सीन देना है जो खतरे में हैं और यह देश की कुल आबादी का आधे से भी कम हिस्सा है। उन्होंने फाइनेंशियल टाइम्स के साथ बात करते हुए यह जानकारी दी है। बता दें कि यूनाइटेड किंगडम की कुल आबादी 67 मिलियन यानी छह करोड़ 70 लाख है।
केट ने कहा कि अगर लोग यह सोच रहे हैं कि देश की पूरी आबादी को वैक्सीन दी जाएगी तो वो गलतफहमी में हैं। रविवार को बिंघम ने बताया कि काफी समय से लोगों को यह कहते सुना जा रहा है कि देश की पूरी आबादी को वैक्सीनेट किया जाएगा, जबकि ऐसा नहीं है। सरकार ने सिर्फ उन लोगों को वैक्सीन देने का फैसला किया है जिन्हें संक्रमण का ज्यादा खतरा है। वहीं, उन्होंने यह भी जानकारी दी है कि 18 साल से कम उम्र की आयु वालों के लिए यह वैक्सीन नहीं है यह सिर्फ वयस्कों के लिए है जिनकी आयु 50 साल से अधिक है। इसके अलावा स्वास्थ्य कर्मचारियों, केयरहोम वर्कर्स और जो इसकी चपेट में हैं उनको वैक्सीन मिलने पर सबसे पहले वैक्सीनेट किया जाएगा।
गौरतलब है कि हाल ही में जानकारी दी गई थी कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस का टीका तीन महीनों के अंदर आ जाएगा। द टाइम्स अखबार ने सरकारी वैज्ञानिकों के हवाले से यह जानकारी दी थी। अखबार के मुताबिक ये वैज्ञानिक ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन पर काम कर रहे हैं और उन्होंने उम्मीद जताई है कि नियामक (रेगुलेटर) इसे साल 2021 की शुरुआत से पहले मंजूरी दे देंगे। फार्मास्यूटिकल्स कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर ऑक्सफोर्ड इस टीके का परीक्षण कर रही है।
ब्रिटिश सरकार ने वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक बनाने का आदेश दिया है। स्वास्थ्य अधिकारियों को अनुमान है कि छह महीने के अंदर हर वयस्क को वैक्सीन मिल सकती है। हालांकि उनके इस दावे को लेकर भी सभी एकमत नहीं हैं।