Move to Jagran APP

धीमी हो गई अमेजन के वनों के बढ़ने की रफ्तार, जानें इसके लिए कौन है जिम्मेदार

शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि जंगलों के पनपने की दर में वृद्धि नहीं होगी तो इसका असर हमारे वातावरण में भी पड़ेगा।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 22 Dec 2019 07:35 PM (IST)Updated: Sun, 22 Dec 2019 07:53 PM (IST)
धीमी हो गई अमेजन के वनों के बढ़ने की रफ्तार, जानें इसके लिए कौन है जिम्मेदार
धीमी हो गई अमेजन के वनों के बढ़ने की रफ्तार, जानें इसके लिए कौन है जिम्मेदार

लंदन, प्रेट्र। जलवायु परिवर्तन के खतरों के प्रति आगाह करने वाले एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि वनों की कटाई के बाद अमेजन के जंगलों का पुनर्वसन यानी उन्हें दोबारा पनपने में पुराने अनुमानों के मुकाबले कहीं ज्यादा समय लगेगा। जर्नल इकोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने दो दशकों तक अमेजन के जंगलों के पुनर्वसन की निगरानी की और यह पता लगाया है कि बढ़ता जलवायु परिवर्तन और बड़े स्तर पर जंगलों के कटान से अमेजन को भारी नुकसान पहुंच सकता है, जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।

loksabha election banner

ब्रिटेन की लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन के कारण अमेजन के जंगल सर्वाधित प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि बीते दशकों में पेड़ों की कटाई के बाद उनके दोबारा पनपने की दर काफी धीमी हो गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि जंगलों के पनपने की दर में वृद्धि नहीं होगी तो इसका असर हमारे वातावरण में भी पड़ेगा क्योंकि अमेजन के जंगल वायुमंडल से सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं और ग्लोबल वॉर्मिग को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।

घट गई है कार्बन सोखने की क्षमता

इससे पहले एक दूसरे अध्ययन में बताया गया था कि पूरी तरह कटाई के बाद दोबारा उगने वाले वन मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण सिद्ध हो सकते हैं, क्योंकि वे वायुमंडल से बड़ी मात्रा में कार्बन को सोखने की क्षमता रखते हैं। इन वनों को आमतौर पर द्वितीयक वन भी कहा जाता है। हालांकि, वर्तमान अध्ययन से पता चला है कि अन्य वनों की तुलना में द्वितीयक वन केवल 40 फीसद कार्बन को सोखने की क्षमता रहते हैं।

घट रहा है जंगलों का रकबा

शोधकर्ताओं के अनुसार, यदि यही स्थिति रही तो इन जंगलों को सौ फीसद कार्बन सोखने के लिए एक सदी से भी अधिक समय लग सकता है, जिसका अर्थ है कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद करने की उनकी क्षमता को बहुत हद तक कम हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूखे की स्थिति में द्वितीयक वनों के कार्बन सोखने की क्षमता और कम हो जाती है। जलवायु परिवर्तन के कारण अमेजन में सूखा साल-दर-साल बढ़ता ही जा रहा है और वनों का रकबा भी कम होता जा रहा है, जो कि चिंता की बात है।

अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर काम करने की जरूरत

ब्राजील की फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ पारा के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक फर्नाडो इलायस ने कहा, ' हमने अमेजन के जिस क्षेत्र का अध्ययन किया है, उसमें प्रति दशक 0.1 डिग्री सेल्सियस के तापमान में वृद्धि देखी गई है और सूखे के दौरान पेड़ों की वृद्धि भी कम थी। कई अध्ययनों में भविष्य में और अधिक सूखे की स्थिति बनने के आसार हैं, इसलिए हमें द्वितीयक वनों की क्षमता के बारे में सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौतों पर काम करने की जरूरत है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.