47 साल बाद दरक गए रिश्तें, यूरोपीय संघ में उतर गए ब्रिटेन के झंडे, 10 डाउनिंग स्ट्रीट में जश्न
यह जिज्ञासा बनती है कि आखिर यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ब्रिटेन में क्या हालात हैं। किस तरह का बदलाव आया। एक सवाल और अहम है कि यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए मूल वजह क्या थी।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल । 47 साल बाद यूरोपीय संघ से ब्रिटेन अलग हुआ। जाहिर है कि इस लंबी अवधि तक जुड़े रहने के कारण ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से गहरा लगाव और भावनात्मक रिश्ते बने होंगे। ऐसे में यह जिज्ञासा बनती है कि आखिर यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ब्रिटेन में क्या हालात हैं। किस तरह का बदलाव आया। एक सवाल और अहम है कि यूरोपीय संघ से अलग होने के लिए मूल वजह क्या थी।
यूरोपीय संघ से ब्रिटेन का झंडा हटाया गया
यूरोपीय संघ से अलग होते ही बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ और उसके सभी संस्थानों से ब्रिटेन के झंडे हटा दिए गए। ब्रिटेन में प्रधानमंत्री कार्यालय और उनके आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर विशेष लाइट जलाई गई। इस मौके को ऐतिहासिक बनाने के लिए 50 पेंस का एक विशेष सिक्का भी जारी किया गया। लंदन के संसद स्क्वायर के पास सैकड़ों लोग एकत्र होकर देशभक्ति के गीत गए। इस मौके पर समर्थकों ने भाषण दिए। ब्रिटेन में जगह-जगह पार्टियां हुईं।
चेतावनी से चिढ़ गए ब्रिटेन के लोग
यूरोपीय संघ से अलग होने को लेकर आर्थिक चेतावनियां धीमे-धीमे शुरु हुईं लेकिन फिर इन चेतावनियों की बाढ़ आ गई। ईएमएफ़, ओईसीडी, आईएफ़एस, बिज़नेस प्रमोशन से जुड़ी सीबीआई जैसी बड़ी-बड़ी वित्तीय संस्थाओं ने चेताया कि आर्थिक स्थिति ख़राब होगी, बेरोज़गारी बढ़ेगी और ब्रिटेन अलग-थलग पड़ जाएगा। तत्कालिक अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और तब के ब्रिटेन वित्त मंत्रालय ने भी ईयू से अलग होने के नुक़सान बताए। ईयू के साथ रहने का समर्थन करने वाले कई लोग मानते हैं कि ये चेतावनियां कुछ ज़्यादा ही हो गईं। इसने ब्रिटेन के स्वाभिमान को झकझोर दिया। यहीं से यूरोपीय संघ से अलग होने की जड़ पड़ी।
अवरोधों भरा रहा चार साल का सफर
ब्रिटेन से यूरोपीय संघ से अलग होने की प्रक्रिया चार साल पुरानी है। 2016 में इस प्रक्रिया की शुरुआत हुई। हालांकि, यह चार साल का सफर काफी अवरोधों भरा रहा। एक जनमत संग्रह के साथ इसकी शुरुआत हुई। साल 2016 में ब्रेक्ज़िट के तहत फ़ैसला लेने के लिए जनमत संग्रह कराया गया था । जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ से अलग होने का 51.9 फीसद लोगों ने समर्थन किया था जबकि 48.1 फीसद ने ईयू के साथ रहने का समर्थन किया था।
चार साल में भेंट चढ़े दो प्रधानमंत्री
इसके चलते ब्रिटेन में दो बार प्रधानमंत्री भी बदले गए। ब्रेक्जिट पर आए फैसले के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन को प्रधानमंत्री पर से हाथ धोना पड़ा था। इसके बाद टेरीजा देश की प्रधानमंत्री बनीं। इनका मुख्य दायित्व ब्रेक्जिट को लागू करवाना था। आखिरकार उनको इस पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद यह जिम्मेदारी र्तमान प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पास आई।