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अत्यधिक काम करने वाले लोगों में बढ़ता है तनाव, रूसी शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आई यह बात

जो लोग ज्यादा काम करने के आदी होते हैं उनमें अन्य लोगों के मुकाबले डिप्रेशन होने का खतरा दोगुना ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को नींद भी ठीक से नहीं आ पाती। रूसी शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आई यह बात।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 Jan 2021 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jan 2021 09:07 PM (IST)
अत्यधिक काम करने वाले लोगों में बढ़ता है तनाव, रूसी शोधकर्ताओं के अध्ययन में सामने आई यह बात
काम की बढ़ती मांग बढ़ा रही लोगों की शारीरिक और मानसिक समस्याएं।

मकाऊ, आइएएनएस। यदि आप अत्यधिक काम करने के आदी हैं तो आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। आप डिप्रेशन (तनाव), एंग्जाइटी (चिंता) और नींद की समस्याओं से परेशान हो सकते हैं। हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इनवायरमेंट रिसर्च एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जो लोग ज्यादा काम करने के आदी होते हैं, उनमें अन्य लोगों के मुकाबले डिप्रेशन होने का खतरा दोगुना ज्यादा होता है। ऐसे लोगों को नींद भी ठीक से नहीं आ पाती। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाएं दोगुना ज्यादा काम करने की आदी होती हैं।

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काम की बढ़ती मांग बढ़ा रही लोगों की शारीरिक और मानसिक समस्याएं

रूस के हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के शोधकर्ता मोर्टेजा चरखाबी ने कहा, 'हमने पाया कि नौकरी की मांग एक सबसे महत्वपूर्ण कारक हो सकती है जो अत्यधिक काम के जोखिम को विकसित कर सकती है। इसलिए इस कारक को संगठन के प्रबंधक द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए या इसकी जांच की जानी चाहिए।'

हमेशा अपने काम में मशगूल रहने वालों के लिए सामाजिक जीवन मायने नहीं रखता

उन्होंने बताया कि अत्यधिक काम करने के आदी यानी वर्कहॉलिक ऐसे लोग होते हैं जो हमेशा अपने काम में ही मशगूल रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए सामाजिक जीवन कुछ मायने नहीं रखता। ऐसे लोग बिना नींद के भी घंटों काम कर सकते हैं। चरखाबी ने कहा, हालांकि इसके कारण कई हो सकते हैं। कई बार लोगों को मजबूरन भी ऐसे काम करने पड़ जाते हैं।

ऐसे किया अध्ययन

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने एक मॉडल तैयार किया जो यह बताता है कि कौन-सा काम एडिक्शन (लत) के जोखिम को बढ़ाता है और कैसे वह मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है। इस शोध में ्रांस के 1580 लोगों को शामिल किया गया और उनके काम के आधार पर उनका वर्गीकरण किया गया। इसके बाद शोधकर्ताओं ने उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच की।

इसलिए हो रही समस्या

अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि काम की बढ़ती मांग लोगों को ज्यादा काम करने के लिए मजबूर कर रही है। शोधकर्ताओं ने कहाकि कोरोना काल को ही देख लें तो कई लोगों की नौकरियां छिन गई हैं और कई दफ्तरों के कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ गया है। ऐसे में यदि तय समय पर लोग अपना काम नहीं पूरा कर पाते तो नौकरी पर तलवार लटकती दिखाई देती है क्योंकि बाजार में कई लोग ऐसे हैं जिन्हें किसी भी कीमत पर काम की जरूरत हैं। नतीजतन, लोग अत्यधिक काम करना शुरू रहे हैं और खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार कर रहे हैं। शोधकर्ताओं ने कहा, यदि हमें अपना भविष्य बेहतर चाहिए तो ऐसी स्थिति से बचना चाहिए।


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