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रूस ने ईरान से परमाणु समझौते की शर्तों को पूरा करने का किया आग्रह

मॉस्को में पत्रकारों से बात करते हुए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि परमाणु समझौते के आसपास की घटनाएं बेहद खतरनाक थीं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 05:24 PM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 05:29 PM (IST)
रूस ने ईरान से परमाणु समझौते की शर्तों को पूरा करने का किया आग्रह

मास्को, रायटर। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने बुधवार को विश्व शक्तियों के साथ अपने 2015 के परमाणु समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिए ईरान को आह्वान किया। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि ईरान अपनी प्रतिबद्धताओं पर वापस कटौती क्यों कर रहा था।

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मॉस्को में पत्रकारों से बात करते हुए लावरोव ने कहा कि परमाणु समझौते के आसपास की घटनाएं बेहद खतरनाक थीं। उन्होंने इसके लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की स्थिति को जिम्मेदार ठहराया, जिसने ईरान पर समझौते और फिर से लगाए गए प्रतिबंधों से बाहर निकाला। 

ईरान ने दुनिया के शक्तिशाली देशों के साथ हुए परमाणु समझौते से दूर हटते हुए अपने भूमिगत फोरडो परमाणु संयंत्र में गतिविधियां बढ़ा दी हैं। साथ ही ईरान ने परमाणु संयंत्रों के निरीक्षण को गई संयुक्त राष्ट्र की निरीक्षक को हिरासत में ले लिया है और उनके पासपोर्ट व अन्य यात्रा दस्तावेज भी जब्त कर लिए हैं।

रूस और फ्रांस ने हालात पर चिंता व्यक्त की है। ईरान ने कहा कि महिला निरीक्षक को नातांज संयंत्र में जाने से रोका गया, क्यों वह वहां पर संदिग्ध सामान लेकर जा रही थीं। जांच में उनके पास सामान होने का पता चला गया, उसी के बाद उन्हें रोक लिया गया। 2015 में परमाणु समझौता होने के बाद परमाणु ऊर्जा एजेंसी के किसी निरीक्षणकर्ता के साथ पहली बार ऐसा वाकया पेश आया है।

अपने फोरडो संयंत्र में ईरान ने यूरेनियम गैस को सेंट्रीफ्यूज में डालने का प्रयोग करने जा रहा है। ईरान अपने इस संयंत्र को 2009 से ही लगातार छिपाए हुए है। यहां की गतिविधियों के बारे में दुनिया को ज्यादा नहीं मालूम। 2015 में अमेरिका समेत दुनिया के प्रमुख देशों ने ईरान को परमाणु हथियार से दूर रखने के लिए समझौता किया था और उस पर से प्रतिबंध हटा लिए थे। लेकिन 2018 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस समझौते से हट जाने के बाद हालात बदल गए।

ट्रंप के कड़े प्रतिबंध लगाने के बाद ईरान ने जवाब में परमाणु गतिविधियां फिर से शुरू करने का एलान कर दिया। इसी के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। अमेरिका अब ईरान पर अधिकतम दबाव बनाने की नीति पर कार्य कर रहा है। वैसे ईरान की तैयारियों का जो स्तर है उसके मद्देनजर परमाणु हथियार बनाने की विशेषज्ञता से वह फिलहाल दूर है।


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