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यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस में हो रही मरीजों को दिक्‍कत, मेडिकल इक्‍यूपमेंट्स की हो रही कमी

यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस को भी कई तरह से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उसके यहां का मेडिकल क्षेत्र इससे खासा प्रभावित हुआ है। हालांकि दवाओं को प्रतिबंधों से दूर रखा गया है लेकिन इसकी आवाजाही में समस्‍या आ रही है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 20 Apr 2022 06:14 PM (IST)Updated: Wed, 20 Apr 2022 10:28 PM (IST)
रूस में हो रही मेडिकल इक्‍यूपमेंट्स की कमी, मरीजों की जान पर संकट

ब्रसेल्‍स (रायटर)। रूस और यूक्रेन की जंग का असर जहां पूरी दुनिया पर पड़ा है वहीं इन दोनों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। रूस में भी इस जंग का असर साफ तौर पर दिखाई दे रहा है। आपको बता दें कि रूस के हाथों में जहां यूरोप को होने वाली गैस और तेल सप्‍लाई की चाबी है तो यूरोप के हाथों में उसके बीमार मरीजों का जीवन है। ये सुनने में भले ही अजीब लगता है कि लेकिन हकीकत यही है। 

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जीवन बचाने वाली दवाओं और इक्‍यूपमेंट की कमी

आपको बता दें कि जब से रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई है तभी से ही रूस में दवाओं और दूसरे जीवन बचाने में काम आने वाली चीजों की कमी हो गई है। यहां पर ये बताना बेहद जरूरी है कि रूस मेडिकल डिवाइस के लिए पश्चिमी देशों पर निभ्‍र्ज्ञर है। यूक्रेन से युद्ध के बाद से ही उसका ये क्षेत्र बुरी तरह से बर्बादी की राह पर है। रूस बड़ी संख्‍या में मेडिकल क्षेत्र में इस्‍तेमाल होने वाली चीजों को पश्चिम से ही मंगवाता है। इसमें पेसमेकर, रेडियोथेरेपी डिवाइस तक शामिल है। इनको रूस यूरोपीयन यूनियन और अमेरिका से मंगवाता है। दोनों ने ही फिलहाल यूक्रेन से युद्ध के चलते रूस पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। बड़ी और जरूरी मेडिकल डिवाइस की वजह से लोगों का जीवन संकट में है। 

रूस-यूक्रेन युद्ध में दोनों को पहुची क्षति 

बता दें कि रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को पहली बार हमला किया था। अब ये युद्ध दो माह पूरे करने वाला है। इस दौरान यूक्रेन को जबरदस्‍त क्षति उठानी पड़ी है। 40 लाख से अधिक यूक्रेनियंंस ने पड़ोसी देशों में शरण ले रखी है। रूस ने अपने इस अभियान को स्‍पेशल मिलिट्री आपरेशन करार दिया है। रूस का कहना है कि वो यूक्रेन को डिमिलिट्राइज किए बिना पीछे नहीं हटेगा। रूस ने जहां कई अमेरिकी और दूसरे देशों की कंपनियों और अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाए हैं वहीं अमेरिका और पश्चिम देशों ने भी ऐसा ही किया है। यहां पर ये भी बता दें कि रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों में दवाओं को शामिल नहीं किया गया है। लेकिन ट्रांसपोर्टेशन में आई परेशानियों के चलते रूस में इन चीजों की कमी हो रही है। युद्ध की वजह से कस्‍टम क्‍लीयरेंस भी मुश्किल से हो रहा है। 

रूस को निर्यात हुआ आधा 

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के आंकड़ों के अनुसार, इससे आपूर्ति के प्रवाह में भारी बाधा आई, जो संघर्ष से पहले लगभग 1.5 बिलियन यूरो (1.6 बिलियन डॉलर) का था। सूत्रों का कहना है कि मशीनों के पुर्जों या मरम्‍मत में भी काफी परेशानी सामने आ रही है। डायलिसिस सिस्टम या सीओवीआईडी ​​​​-19 रोगियों के लिए वेंटिलेटर, जिनको अपडेट रखना बेहद जरूरी होता है, में काफी बाधा सामने आ रही है। 


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