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पुतिन के जासूसों ने आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का फार्मूला चुराकर बनाई थी रूस की स्पूतनिक वैक्सीन- रिपोर्ट

आक्‍सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्‍सीन को लेकर ब्रिटेन ने सनसनीखेज दावा किया है। ब्रिटेन के सुरक्षा सूत्रों ने कहा है कि रूस ने ऑक्‍सफर्ड/ एस्‍ट्राजेनेका की कोविशील्‍ड वैक्‍सीन का ब्‍लूप्रिंट चुराया और इसके बाद अपनी स्‍पुतनिक कोरोना वैक्‍सीन का निर्माण किया।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 12:35 PM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 12:54 PM (IST)
पुतिन के जासूसों ने आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का फार्मूला चुराकर बनाई थी रूस की स्पूतनिक वैक्सीन- रिपोर्ट
रूस पर चोरी करके स्पूतनिक वैक्सीन बनाने का आरोप।(फोटो: फाइल)

मास्को, एजेंसियां। कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया में सबसे पहले रूस ने टीका बनाया था। रूस ने सबसे पहले स्पूतनिक वी नाम से वैक्सीन बनाई थी। लेकिन अब इस वैक्सीन को बनाने वाली रूसी कंपनी गेमालेया नेशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी पर चोरी का आरोप लगा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूके की ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (Oxford/AstraZeneca) का ब्लूप्रिंट रूसी जासूसों ने चुरा लिया था। फिर इसका इस्तेमाल स्पूतनिक V वैक्सीन (Sputnik V) बनाने में किया गया।

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द सन की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन के मंत्रियों को बताया गया है कि रूस ने आक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन का फार्मूला चुरा लिया और इसका इस्तेमाल अपनी स्पुतनिक वैक्सीन बनाने में किया।

सूत्रों ने कथित रूप से मंत्रियों को बताया कि इस बात के पक्‍के सबूत हैं कि रूस के लिए काम करने वाले जासूसों ने एस्‍ट्राजेनेका कंपनी से यह कोविशील्‍ड का डिजाइन चुराया ताकि अपनी स्‍पुतनिक वैक्‍सीन को बनाया जा सके। यह दावा ऐसे समय पर आया है जब कुछ महीने पहले ही रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि उन्‍होंने स्‍पुतनिक वी कोरोना वैक्‍सीन लगवाई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस की स्पुतनिक वैक्सीन, ऑक्सफोर्ड डिजाइन की गई वैक्सीन के समान तकनीक का उपयोग करती है। ब्रिटेन के सुरक्षा दल अब सुनिश्चित है कि इसे कापी किया गया था। यह समझा जाता है कि डाटा एक विदेशी एजेंट(जासूस) द्वारा व्यक्तिगत रूप से चुराया गया था।

व्लादिमीर पुतिन का कहना है कि उन्होंने स्पूतनिक वी वैक्सीन की दोनों डोज ले ली हैं। उन्होंने अन्य रूसी नागरिकों को भी ये वैक्सीन लेने का आग्रह किया था। हालांकि, ये वैक्सीन अभी तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत नहीं है। इसके बावजूद 70 देशों ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है।

द सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर में मास्‍को में हुए दो शुरुआती क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे ब्रिटेन के प्रतिष्ठित जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित हुए थे। इसमें संकेत मिलता है कि रूसी वैक्‍सीन सुरक्षित और प्रभावी है। रूसी वैक्‍सीन स्‍पुतनिक में ठीक उसी तकनीक का प्रयोग किया गया है जो आक्‍सफर्ड की वैक्‍सीन में है। रूसी अध्‍ययन में केवल 76 लोग शामिल थे और इनमें से केवल आधे को ही वास्‍तव में कोरोना का टीका लगाया गया था।


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