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भारत के लिए भू-रणनीतिक रूप से अहम है रूस का ये क्षेत्र, 1 अरब डॉलर दिया ऋण; चीन को झटका

समुद्री व्यापार सामरिक और सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए यह शहर अहम साबित हो सकता है। यह आर्कटिक और उत्तरी सागर रास्ते के लिए नए अवसर खोल सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 08:56 AM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 01:48 PM (IST)
भारत के लिए भू-रणनीतिक रूप से अहम है रूस का ये क्षेत्र, 1 अरब डॉलर दिया ऋण; चीन को झटका
भारत के लिए भू-रणनीतिक रूप से अहम है रूस का ये क्षेत्र, 1 अरब डॉलर दिया ऋण; चीन को झटका

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय रूस यात्रा का केंद्र इस बार रूस का सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक रहा। समुद्री व्यापार, सामरिक और सुरक्षा के लिहाज से भारत के लिए यह शहर अहम साबित हो सकता है। साथ ही, व्लादिवोस्तोक यूरेशिया और पैसिफिक का संगम है। यह आर्कटिक और उत्तरी सागर रास्ते के लिए नए अवसर खोल सकता है। इसलिए तो प्रधानमंत्री मोदी ने इस क्षेत्र के विकास के लिए 1 अरब डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (विशेष शर्तों वाले ऋण) देने की घोषणा की है।

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भू-रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण
सुदूर पूर्वी क्षेत्र विशाल ठंडे साइबेरिया में स्थित है। यह क्षेत्र चीन, मंगोलिया, उत्तर कोरिया के साथ भू सीमा और जापान और अमेरिका के साथ समुद्री सीमा साझा करता है। अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र में चीन और अमेरिका में होड़ लगी रहती है। ऐसे में अपने भू-रणनीतिक महत्व को देखते हुए भारत ने 1992 में व्लादिवोस्तोक में वाणिज्य दूतावास खोला था। ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है।

चीन को झटका
भारत और रूस सुदूर पूर्व की राजधानी कहे जाने वाले व्लादिवोस्तोक और चेन्नई के बीच एक समुद्री लिंक निर्माण के लिए सहमत हुए हैं। यह व्लादिवोस्तोक-चेन्नई समुद्र लिंक चीन की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट वन रोड परियोजना का जवाब है। सुरक्षा के चश्मे से देखा जाए तो भारत की यह नीति चीन की मशहूर रणनीति स्ट्रिंग ऑफ पर्ल को तोड़ने में भी सफल साबित होगी। जिसके इस रणनीति के तहत चीन विभिन्न देशों के द्वीपों पर मौजूदगी बनाकर हिंद महासागर पर पकड़ बनाना चाहता है।

ऐसा होगा रूट
व्लादिवोस्तोक से चेन्नई आने वाले जहाज जापान के सागर पर दक्षिण की ओर तैरते हुए कोरियाई प्रायद्वीप, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस, सिंगापुर और मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करेंगे और फिर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से होते हुए चेन्नई आएंगे।

वैज्ञानिक और औद्योगिक केंद्र
व्लादिवोस्तोक एक बंदरगाह शहर है, जो प्राइमरी क्षेत्र और सुदूर पूर्व के संघीय जिले का प्रशासनिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है। ये रूस के दक्षिण-पूर्वी इलाके में गोल्डन हॉर्न खाड़ी के पास स्थित है। यह सुदूर पूर्व का सबसे बड़ा शैक्षणिक और वैज्ञानिक केंद्र हैं। इस शहर में फार ईस्टर्न फेडरल यूनिवर्सिटी और रूसी विज्ञान अकादमी की शाखा है।

समय के साथ बदलता रहा
व्लादिवोस्तोक का इतिहास 159 साल पुराना है। जून 1860 में, रूस और चीन के बीच आइगुन की संधि के बाद जापान सागर की गोल्डर्न हॉर्न खाड़ी के द्वीप पर रूसी सेना तैनात की गई और इसे व्लादिवोस्तोक का नाम दिया गया। मई 1890 में लगभग साढ़े सात हजार की आबादी वाले व्लादिवोस्तोक को शहर का दर्जा मिला।

20वीं सदी के आते-आते ये छोटा शहर रूस और समूचे सुदूर पूर्व इलाके के लिए एक महत्वपूर्ण बंदरगाह और नौसैनिक अड्डा बन गया। इस दौरान शहर में मशीनरी निर्माण, जहाज बनाने और मरम्मत, निर्माण सामग्री के उत्पादन, मछली पकड़ने के उपकरण, भोजन, उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण और लकड़ी के काम करने वाले उद्योग भी फले-फूले। यहां से निर्यात किए जाने वाले उत्पादों में पेट्रोलियम, कोयला और अनाज हैं। इस बंदरगाह शहर के एक बड़े हिस्से में मछली पकड़ने और पूरे देश में मछलियां पहुंचाने का काम किया जाता है।

प्राकृतिक संसाधन युक्त क्षेत्र
रूस का सुदूर पूर्व प्राकृतिक संसाधन संपन्न क्षेत्र है। यह अन्य संसाधनों के बीच तेल, प्राकृतिक गैस, लकड़ी, सोना और हीरे से समृद्ध है। भारत को इन सभी की आवश्यकता है। ऐसे में एक व्लादिवोस्तोक-चेन्नई लिंक का मतलब है कि भारत रूस के साथ अपने साझा हितों के समीकरण को मजबूत कर रहा है।

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