रूस के इस इलाके में सूरज निकलने के चार घंटे बाद भी बना रहा घुप्प अंधेरा, जानें क्या है कारण
रूस में एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होती रही। यहां पर बीते शुक्रवार को सुबह आठ बजे तक सूरज की रोशनी नहीं दिखाई दी
मॉस्को, जेएनएन। जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया भर में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। रूस में एक अजीबोगरीब घटना देखने को मिली, जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होती रही। यहां पर बीते शुक्रवार को सुबह आठ बजे तक सूरज की रोशनी नहीं दिखाई दी, जबकि यहां सुबह चार बजे ही सूर्योदय हो चुका था। यही कारण है कि सूरज उगने के बाद कई घंटों तक साइबेरिया के वेरखोयस्क क्षेत्र के निवासियों को घुप्प अंधेरा का सामना करना पड़ा। सूर्योदय के चार घंटे बाद भी इस इलाके में पूरी तरह से अंधेरा था और तापमान भी काफी गिर गया था।
लोगों में थी घबराहट
साइबेरियन टाइम्स के अनुसार, उप-आर्कटिक क्षेत्र के लोगों ने बताया कि इस अंधेरे में एक पीलापन था। इस बारे में पिछले साल जुलाई में याकुटिया के तीन विशाल क्षेत्रों में भी इसी तरह की एक एक घटना देखी गई थी। ऐसे में यह मामला रहस्यमयी हो गया है। वेरखोयस्क शहर के एक निवासी ने कहा कि यह एक अजीब परंपरा बन रही है कि हर साल जुलाई या अगस्त महीने में हम जागते हैं और घबराते हैं कि क्या आज फिर सूरज निकलेगा या नहीं निकलेगा।
मौसम विशेषज्ञों ने बताया कारण
हालांकि, मौसम विशेषज्ञों ने कहा कि इस अप्रत्याशित अंधेरे का कारण घने वर्षा वाले बादलों के साथ जंगल में लगी आग के धुंए का मिलना हो सकता है। प्रभावित क्षेत्रों में से एक ओइमाकॉन है, जिसे पोल ऑफ कोल्ड के रूप में जाना जाता है। यह पृथ्वी पर सबसे ठंडा निवास स्थान है। यहां सर्दियों का तापमान -60 डिग्री सेलसियस तक गिर जाता है, लेकिन पिछले महीने यह क्षेत्र 32 डिग्री सेल्सियस की गर्मी से झुलस रहा था। यह दुनिया की 9 सबसे ठंडी जगहों के रूप में जाना जाता है।
कार्बन मोनो ऑक्साइड की मौजूदगी बढ़ी
याकुटिया के प्रमुख एसेन निकोलेयेव ने रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव को यहां प्रभावित करने वाले वन्यजीवों की संख्या में भारी वृद्धि से निपटने के लिए अतिरिक्त 390 मिलियन रूबल (5 मिलियन पाउंड) आवंटित करने के लिए कहा। पिछले हफ्ते नौ लाख हेक्टेयर इलाके में 116 आग की घटनाएं देखी गई।
रूस के मौसम विभाग फोबोस के विशेषज्ञ ने कहा कि आग की वजह से वायुमंडल में भारी मात्रा में कार्बन मोनो ऑक्साइड की मौजूदगी के चलते असामान्य बादलों का निर्माण हो गया होगा। फोबोस मौसम केंद्र ने कहा कि इस क्षेत्र में कार्बन मोनोऑक्साइड के उच्च स्तर का पता लगाया गया, जो 7.19mg/m3 तक पहुंच गया, जबकि हवा में अधिकतम 5mg/ m3 तक ही स्वीकार्य है।