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एक भी आतंकी नहीं बचना चाहिए, भले निर्दोष मारे जाएं; ये है इस देश की पॉलिसी

एक देश ऐसा भी है जो आतंकियों की मांगें मानने की बजाय अपने नागरिकों को कुर्बान करने से भी परहेज नहीं करता। चलिए जानते हैं किस देश की है आतंक के खिलाफ ऐसी सख्त नीति...

By Digpal SinghEdited By: Published: Thu, 26 Oct 2017 05:38 PM (IST)Updated: Thu, 26 Oct 2017 09:50 PM (IST)
एक भी आतंकी नहीं बचना चाहिए, भले निर्दोष मारे जाएं; ये है इस देश की पॉलिसी
एक भी आतंकी नहीं बचना चाहिए, भले निर्दोष मारे जाएं; ये है इस देश की पॉलिसी

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। आतंकवाद आज वैश्विक समस्या है। भले ही वह भारत हो या अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया या अफ्रीका महाद्वीप के देश। तमाम मुल्कों में आतंकी अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देकर बेकसूरों का खून बहाते रहते हैं। कभी आत्मघाती हमला तो कभी बम विस्फोट करके आतंकवादी दुनियाभर में खूनी खेल खेलते रहते हैं। इनके अलावा एक और खतरनाक हथियार आतंकियों के हाथ में है लोगों को बंधक बनाना। निर्दोष लोगों को बंधक बनाकर कभी आतंकी उन्हें मार देते हैं तो कभी उनको ढाल बनाकर बच निकलते हैं और कभी उनके बदले अपनी मांगों को पूरी करने की कोशिश करते हैं। दुनियाभर में ऐसे कई मौके आए हैं, जब आतंकियों ने मासूमों को बंधकर बनाकर अपनी मांगें मनवाई हैं। लेकिन एक देश ऐसा भी है जो आतंकियों की मांगें मानने की बजाय अपने नागरिकों को कुर्बान करने से भी परहेज नहीं करता। उस देश के बारे में भी आपको बताएंगे। पहले जानें आतंकवाद है क्या?

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आतंकवाद की परिभाषा

मूल रूप से यह एक वैचारिक जंग है। इसके तहत जानबूझकर हिंसा का सहारा लिया जाता है, ताकि निर्दोष लोगों का खून बहाया जा सके। उनमें डर पैदा किया जा सके। कई बार अपने राजनीतिक हित साधने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। कई बार यह किसी विशेष मांग, अपने धर्म, जाति या क्षेत्र के प्रति ध्यान आकर्षण या उसे श्रेष्ठ साबित करने के लिए भी होता है। दरअसल 'टेररिस्ट' (आतंकवादी) या 'टेररिज्म' आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति फ्रेंज रेवोल्यूशन के दौरान 18वीं सदी के अंत में हुई।

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आतंक के आगे घुटने नहीं टेकता यह देश

आतंकवादियों से निपटने के लिए हर देश की अपनी अलग रणनीति होती है। लेकिन इस रणनीति का असली इम्तिहान उस वक्त होता है जब आतंकवादी नागरिकों को बंधक बना लेते हैं। ऐसे में एक तरफ आतंकी समय-सीमा के भीतर अपनी मांग पूरी करने या नागरिकों को मारने की धमकी देते हैं तो दूसरी तरफ देश में सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षा के लिए दबाव बनने लगता है। आत्मघाती हमले या बम विस्फोट में सरकारें बाद में जांच ही कर सकती हैं, लेकिन बंधक संकट (हॉस्टेज सिचुएशन) से निपटना अलग तरह का सिरदर्द है। इस मामले में रूस आतंकियों के आगे घुटने नहीं टेकता।

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ऐसे निपटा रूस मॉस्को थिएटर बंधक संकट से

साल 2002 में 23 से 26 अक्टूबर तक चले मॉस्को थिएटर बंधक संकट से रूस जिस तरह से निपटा वह अपने आप में मिसाल भी है और उसको लेकर विवाद भी है। दरअसल 23 अक्टूबर को 40-50 चेचन विद्रोहियों ने स्थानीय डुबरोव्का थियएटर पर कब्जा कर लिया और 850 लोगों को बंधक बना लिया। विद्रोहियों की मांग थी कि रूस तुरंत चेचन्या से अपनी सेना को हटा ले और दूसरे चेचन युद्ध का अंत हो। 26 अक्टूबर को जब इस बंधक संकट का अंत हुआ तो 170 लोगों की मौत हो चुकी थी। इस बंधक संकट से पार पाने के लिए सुरक्षाबलों ने थिएटर में एक अज्ञात गैस छोड़ी, जिसमें सभी 40 आतंकवादी और 130 अन्य लोग मारे गए। रूस की इस कार्रवाई में सभी आतंकी तो मारे गए, लेकिन 130 बेगुनाहों की भी जान गई। गैस के इस्तेमाल पर रूस की आलोचना भी हुई, लेकिन अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कुछ देशों ने रूस की इस कार्रवाई को जायज ठहराया। 

दुनियाभर में बड़ी आतंकी घटनाएं

आतंकवादियों के नापाक इरादों से दुनिया का कोई भी कोना बचा नहीं है। 26/11 मुंबई आतंकी हमलों, 1993 मुंबई बम धमाके, 2005 दिल्ली बम धमाके, संसद हमला सहित भारत में आतंकवादियों ने पिछले तीन दशक में कई दर्दनाक घटनाओं को अंजाम दिया है। दुनियाभर में अमेरिका में 9/11 हमले, लंदन बम धमाके, इस्तानबुल धमाके, नॉर्वे हमले, मैड्रिड ट्रेन धमाके, नीस आतंकी घटना, ढाका बंधक संकट जैसी सैकड़ों नापाक हरकतों को आतंकवादियों ने अंजाम लिया है।

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बड़े बंधक संकट

आतंकवादियों ने अपनी बातों को मनवाने और सरकारों के झुकाने के लिए इस हथियार का खूब इस्तेमाल किया है। आतंकवादियों ने दुनियाभर में 4-5 दशकों में ही दर्जनों ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया है। उनमें से कुछ चर्चित हॉस्टेज क्राइसेस का नाम हम यहां दे रहे हैं...

 

बंधक संकट की स्थिति में क्या करता है भारत

बंधक संकट से निपटने का रूस का अपना तरीका है। लेकिन हर देश रूस की तरीके से कार्रवाई नहीं कर सकता। भारत में वैसे भी कहा जाता है, 'भले ही 10 अपराधी छूट जाएं, लेकिन एक भी निर्दोष को सजा नहीं होनी चाहिए'। इसी तर्ज पर भारत की पॉलिसी आतंकवाद के खिलाफ भी नजर आती है। खासकर बंधक संकट में भारत की कोशिश होती है कि वह पहले अपने नागरिकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करे। ऐसा ही कुछ साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट आईसी 814 के मामले में भी देखने को मिला। काठमांडू से उड़ान भरने के बाद आतंकवादियों ने विमान का अपहरण कर लिया और अमृतसर होते हुए लाहौर होते हुए कांधार में विमान को उतारा गया। यह बंधक संकट 8 दिन चला। भारत सरकार ने आतंकवादियों के साथ बातचीत करके 190 यात्रियों को सुरक्षित छुड़वाया, जबकि तीन खूंखार आतंकियों को जेल से रिहा किया गया। 

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