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रूस और यूक्रेन युद्ध जार्जिया के लिए कैसे बन गया सोने का अंडा देने वाली मुर्गी, जानें- पूरा केस हिस्‍ट्री

रूस और यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया चिंतित है लेकिन जार्जिया के लिए ये एक सुनहरा अवसर की तरह आया है। जार्जिया इसका पूरा फायदा उठा रहा है। हालांकि रूस और जार्जिया के संबंध भी अच्‍छे नहीं रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 13 Nov 2022 01:14 PM (IST)Updated: Sun, 13 Nov 2022 01:14 PM (IST)
रूस और यूक्रेन युद्ध जार्जिया के लिए कैसे बन गया सोने का अंडा देने वाली मुर्गी, जानें- पूरा केस हिस्‍ट्री
जार्जिया उठा रहा है रूस और यूक्रेन युद्ध का पूरा फायदा

नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। एक तरफ जहां रूस-यूक्रेन युद्ध की मार किसी न क‍िसी तरह से पूरी दुनिया झेल रही है, वहीं जार्जिया इसका पूरा लाभ उठा रहा है। आपको ये भले ही अटपटा लगे, लेकिन ये एक सच्‍चाई है। इस युद्ध से उपजे कारणों की वजह से जार्जिया विश्‍व के उन देशों में शामिल हो रहा है, जो विभिन्‍न परेशानियों के बाद भी तेजी से विकास की तरफ बढ़ रहे हैं। ये हाल तब है जब दुनियाभर में आर्थिक हालत खराब है और विकास दर में गिरावट दर्ज की जा रही है। जार्जिया की बात करें तो वहां पर विकास दर के 10 फीसद तक होने की संभावना व्‍यक्‍त की जा रही है। ऐसा नहीं है कि जार्जिया ने कोई ऐसी तकनीक हासिल कर ली है, जिसके दम पर वो इस तेजी से आगे बढ़ने की उम्‍मीद कर रहा है, बल्कि इसके पीछे की वजह कुछ और है।

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तेजी से विकास कर रहा जार्जिया 

दरअसल, जार्जिया जिस विकास दर की संभावना व्‍यक्‍त कर रहा है उसके पीछे वो लोग हैं, जो यूक्रेन युद्ध के खिलाफ रूस से समय रहते निकलकर जार्जिया पहुंच गए। ये लोग अपने साथ काफी दौलत लेकर यहां आए। इनको इस बात का डर था कि इस युद्ध के चलते उन्‍हें भी कहीं युद्ध की आग में न झोंक दिया जाए और कहीं उनकी आर्थिक हालत रूस में रहते गिर न जाए। इसी वजह से इन्‍होंने रूस को छोड़कर जार्जिया में शरण ली। रूस से आए ऐसे लोगों की संख्‍या कुछ हजार नहीं है, बल्कि ये संख्‍या लाखों में है। जार्जिया की एक रिपोर्ट बताती है कि उनके यहां पर इस युद्ध के बाद करीब 37 लाख रूसी लोग आकर बस गए हैं। अब इनके ही दम पर जार्जिया तेज विकास दर की बाट जोह रहा है।

वियतनाम और कुवैत को छोड़ा पीछे 

अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के मुताबिक, जार्जिया की महज 19 अरब डालर की अर्थव्यवस्था ने कुवैत और वियतनाम को भी पीछे छोड़ दिया है। जार्जिया के सबसे बड़े बैंक टीबीसी का कहना है कि जार्जिया की आर्थिक स्थिति इस वक्‍त काफी बेहतर है। सभी तरह के उद्योग अच्छा काम कर रहे हैं। फिलहाल कोई क्षेत्र में परेशानी से नहीं जूझ रहा है। जार्जिया के आंकड़े बता रहे हैं कि इस वर्ष रूस से कम से कम 1,12,000 लोग यहां पर आए हैं। इन लोगों के जार्जिया आने की शुरुआत रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ही शुरू हो गई थी। युद्ध की शुरुआत के साथ ही करीब 43 हजार लोगों ने सीमा पार कर जार्जिया में कदम रखा था। इसके बाद यहां पर आने वाले रूसी लोगों की संख्‍या में उस वक्‍त इजाफा दर्ज किया गया, जब रूस ने अपनी रिजर्व फोर्स की बात कही थी। तब भी काफी संख्‍या में रूसी जार्जिया पहुंचे थे।

जानकारों की राय 

जार्जिया के अर्थशास्त्रियों की मानें तो फिलहाल ये कहना मुश्किल है कि ये स्थिति कब तक बनी रहेगी और कब तक रूस से लोग आते रहेंगे और जार्जिया को आर्थिक रूप से मजबूत करते रहेंगे। इन जानकारों का ये भी कहना है कि उनकी आर्थिक स्थिति काफी हद तक रूस पर निर्भर है। ऐसा इसलिए है, क्‍योंकि आयात-निर्यात और पर्यटकों की आमद रूस से बड़े पैमाने पर होती है।

वर्ल्‍ड बैंक का अनुमान गलत साबित 

यूरोपीयन बैंक आफ रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (ईबीआरडी) के ने मार्च में कहा था कि रूस यूक्रेन युद्ध से जार्जिया को अधिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। वहीं, वर्ल्‍ड बैंक ने भी अप्रैल जार्जिया की आर्थिक विकास दर का अनुमान महज 2.5 फीसद लगाया था। लेकिन रूस और रूसी लोगों ने इस अनुमान को गलत साबित कर दिया है।

अरबों डालर बैंकों में जमा 

जॉर्जिया के केंद्रीय बैंक का कहना है कि अप्रैल से सितंबर के बीच में जार्जिया आने वाले रूसियों ने विभिन्‍न बैंकों में एक अरब डालर जमा कराए हैं। वर्ष 2021 की तुलना में ये धन करीब 5 गुना अधिक है। इस वजह से जार्जिया की मुद्रा लारी तीन साल के अपने सबसे मजबूत स्तर पर पहुंच गई है। रूस से आने वाले लोगों ने केवल इस तरह से ही जार्जिया को मजबूत नहीं किया है, बल्कि ये लोग तकनीकी दृष्टि से भी काफी कुशल हैं, जिसकी वजह से भी जार्जिया को फायदा पहुंचा है। यहां पर आने वाले लोगों में टेक्‍नोलाजी सेक्‍टर के लोगों की भरमार थी। अब इनका फायदा जार्जिया को मिल रहा है।

नए उद्योगों की भरमार 

रूसी लोगों के यहां पर आने के बाद जार्जिया में नए उद्योग भी खुले हैं। इन लोगों ने जहां जार्जिया की आर्थिक प्रगति में योगदान दिया है, वहीं इसका कुछ साइड इफेक्‍ट भी पड़ा है। यहां पर मकानों की कीमत बढ़ गई है। महंगाई का स्‍तर भी पहले की तुलना में कुछ बढ़ गया है। जार्जिया को इस बात का भी डर लग रहा है कि कहीं रूस और यूक्रेन के बीच स्थिति सामान्‍य होने पर रूसी यहां से वापस न चले जाएं। यदि ऐसा हुआ तो उसकी आर्थिक ताकत कहीं न कहीं कमजोर जरूर हो जाएगी। बता दें कि रूस और जार्जिया के बीच भी जंग हो चुकी है। इन दोनों के रिश्‍ते अच्‍छे नहीं रहे हैं। इसलिए हालात कभी भी बदल सकते हैं।

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