कोरोना को नकारने वाले रूस के पूर्व पादरी को सात साल की सजा, अदालत ने घृणा फैलाने के मामले में पाया दोषी
कोरोना वायरस का अस्तित्व नहीं मानने और क्रेमलिन की अवहेलना करने वाले पूर्व रूसी आर्थोडाक्स पादरी को शुक्रवार को सात वर्ष जेल की सजा सुनाई गई। 67 वर्षीय निकोलाइ रोमवानोव को फादर सेर्गिय के नाम से जाना जाता था। फोटो- एपी।
मास्को, एपी। कोरोना वायरस का अस्तित्व नहीं मानने और क्रेमलिन की अवहेलना करने वाले पूर्व रूसी आर्थोडाक्स पादरी को शुक्रवार को सात वर्ष जेल की सजा सुनाई गई। 67 वर्षीय निकोलाइ रोमवानोव को फादर सेर्गिय के नाम से जाना जाता था। निकोलाइ ने अपने समर्थकों से रूस सरकार के लाकडाउन उपायों का उल्लंघन करने और जन समुदाय को नियंत्रण में रखने के वैश्विक प्लाट के बारे में साजिश सिद्धांत को फैलाने को कहा था।
अदालत ने घृणा फैलाने के मामले में पाया दोषी
मास्को की एक अदालत ने निकोलाइ को घृणा फैलाने का दोषी ठहराया। उनके वकील ने सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद अपील दाखिल करने की घोषणा की। सोवियत काल में निकोलाइ पुलिस अधिकारी रहे, लेकिन हत्या, लूटपाट और हमले का दोषी ठहराए जाने और 13 वर्ष जेल की सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस की नौकरी जाती रही।
जेल से रिहा होने के बाद बने थे पादरी
जेल से रिहा होने के बाद वह पादरी बन गए। जब कोरोना महामारी शुरू हुई तब उन्होंने उसके अस्तित्व को मानने से इन्कार कर दिया और सरकार के प्रयासों को शैतान के इलेक्ट्रानिक शिविर बताकर विरोध किया। निकोलाय ने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को मातृभूमि का गद्दार कहा। इतना ही नहीं रूसी आर्थोडाक्स चर्च के प्रमुख की भी निंदा की।
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