पहले रूस ने क्रीमिया पर किया कब्जा, अब समंदर पर बनाया 19 किलोमीटर लंबा पुल
रुस ने समंदर पर 19 किलोमीटर लंबा पुल बनाया अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस पुल का उद्घाटन कर दिया है। ये नया पुल रूस को क्रीमिया से जोड़ता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। एक समय था जब रुस और क्रीमिया के बीच यातायात के साधन के लिए कोई सीधा रास्ता नहीं था। रुस ने जब क्रीमिया पर कब्जा किया उसके बाद समुद्र पर नया पुल बनाकर ट्रेन और सड़क यातायात को सामान्य करने की दिशा में काम शुरू किया गया। रुस ने समंदर पर 19 किलोमीटर लंबा पुल बनाया, अब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस पुल का उद्घाटन कर दिया है। ये नया पुल रूस को क्रीमिया से जोड़ता है। रूस ने साल 2014 में युक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया था।
ये पुल केर्च जलडमरूमध्य से होकर गुजरता है। इस पुल के उद्घाटन के बाद खुद पुतिन ट्रेन पर सवार होकर क्रीमिया से रूस के तामान प्रायद्वीप तक गए, ड्राइवर के केबिन में उनकी तस्वीरें मीडिया में दिखाई जा रही हैं। पुल का निर्माण पूरा होने पर राष्ट्रपति पुतिन ने कामगारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को पूरा करने से हमारी क्षमता साबित होती है।
पुल की लागत
इस पुल की लागत लगभग साढ़े तीन अरब डॉलर से ज्यादा है। इस लागत में इस प्रोजेक्ट के दो सामानांतर पुल बनाए गए हैं। एस पुल का इस्तेमाल रेल यातायात के लिए किया जाएगा जबकि दूसरे का इस्तेमाल गाड़ियों के लिए होगा। दरअसल जब रूस ने साल 2014 में क्रीमिया पर कब्जा किया था उसी समय इस पुल की योजना बनाई गई थी। ऑटोमोबाइल के लिए बने पुल का उद्घाटन पुतिन मई 2018 में ही कर चुके हैं और कुछ महीनों बाद उसे ढुलाई वाले भारी वाहनों के लिए खोल दिया गया था। रेलवे पुल को माल गाड़ियों के लिए जून 2020 में खोला जाएगा।
कब्जे से पहले दोनों देशों के बीच रेल ही था यातायात माध्यम
क्रीमिया पर रूस का कब्जा होने से पहले भी दोनों देशों के बीच रेल यातायात था। क्रीमिया के शहरों सिम्फेरोपोल और सेवास्तोपोल से यूक्रेन, रूस और बेलारूस के लिए ट्रेन सेवा मौजूद थी। क्रीमिया पर कब्जे के बाद लंबी दूरी की ट्रेन सेवाएं बाधित हो गईं। सिर्फ क्रीमिया प्रायद्वीप में स्थानीय ट्रेनें चल रही थीं। रूस ने क्रीमिया में बुनियादी ढांचे से जुड़े प्रोजेक्ट्स में खूब पैसा लगाया है जिससे पुल और नए बिजली घर बनाए जा रहे हैं।
सेंट पीटर्सबर्ग राष्ट्रपति पुतिन का जन्म स्थान
यात्री रेलों के लिए पुल खुल जाने के बाद अब सेंट पीटर्सबर्ग और सेवास्तोपोल के बीच यात्रा करना संभव होगा। इस सफर में 43 घंटे का समय लगता है। सेंट पीटर्सबर्ग राष्ट्रपति पुतिन का जन्म स्थान है, वहां से पहली ट्रेन पुल के उद्घाटन के कुछ समय बाद ही क्रीमिया में पहुंची, रूस का कहना है कि यह यूरोप का सबसे लंबा रेलवे पुल है। दूसरी तरफ यूक्रेन ना तो इस पुल से खुश है और ना ही इसके उद्घाटन के लिए क्रीमिया में पुतिन की मौजूदगी से।
क्रीमिया पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के प्रतिनिधि ने फेसबुक पर अपने एक बयान में कहा है कि ये रेल संपर्क और राष्ट्रपति पुतिन का क्रीमिया दौरा "रूस की तरफ से यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का घोर उल्लंघन है."। इसी महीने यूरोपीय संघ ने यूक्रेन संकट की वजह से रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। इससे पहले, राष्ट्रपति पुतिन फ्रांस की राजधानी पेरिस में राष्ट्पति जेलेंस्की से मिले, दोनों नेताओं की चर्चा में यूक्रेन संकट से जुड़े तनाव को घटाने पर हुई।
इस खबर में हम आपको देश दुनिया के कुछ लंबे रूटों और ट्रेन से वहां पहुंचने वाले समय के बारे में भी बता रहे हैं।
मॉस्को से प्योंगयांग
इसे दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा कहा जाता है। रूस के मॉस्को से उत्तरी कोरिया के शहर प्योंगयांग तक 10,214 किलोमीटर का ये सफर दुनिया का सबसे बड़ा रेल का सफर है। इसे पूरा करने में 7 दिन 20 घंटे 25 मिनट का समय लगता है।
द कैनेडियन, कनाडा
ये टोरंटो से वैंकुवर की ट्रेन यात्रा है। इस 4465 किलोमीटर लंबी यात्रा में तीन दिन लगते हैं।
चीन
ये ट्रेन सफर शंघाई से ल्हासा के बीच तय किया जाता है। इसकी लंबाई 4372 किलोमीटर है। जो ट्रेन यात्री इस सफर को करते हैं उनको सबसे ऊंची रेल लाइन से गुजरना पड़ता है। इसमें लगभग 48 घंटे का समय लगता है।
कैलिफॉर्निया साइफर, अमेरिका
ये ट्रेन यात्रा एमेरीविले से शिकागो तक जाती है। ये ट्रेन यात्रा 3923 किलोमीटर लंबी बै। इस रूट पर ये यात्रा 51 घंटे में पूरी होती है। इसे अमेरिका की सबसे सुंदर यात्रा भी कहते हैं।
इंडियन पैसिफिक, ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया के इंडियन पैसिफिक सिडनी से पर्थ के बीच ये ट्रेन चलती है। ये 4351 किलोमीटर लंबी यात्रा है। इसे पूरा करने में 65 घंटे लगते हैं। यह दुनिया की सबसे लंबी सपाट पटरी भी है।
विवेक एक्सप्रेस, इंडिया
ये ट्रेन डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी के बीच चलती है। 82 घंटे की यह यात्रा 4237 किलोमीटर लंबी है और भारत के पूर्व को दक्षिण से जोड़ती है। कन्याकुमारी जाने वाले यात्री इसका इस्तेमाल करते हैं।
पैरिस-मॉस्को एक्सप्रेस, फ्रांस (पैरिस से मॉस्को)
पैरिस से मॉस्को(यूरोप) के बीचोंबीच से यह ट्रेन आपको 3215 किलोमीटर की सैर कराती है। इस सफर को पूरा करने में 48 घंटे का समय लग जाता है।
द गान, ऑस्ट्रेलिया
डारविन से ऐडेलेड के बीच ट्रेन चलती है। इसकी लंबाई 2978 किलोमीटर है। इसको पूरा करने में दो रातें यानी 47 घंटे ट्रेन में गुजारने पड़ते हैं। ये ट्रेन ऑस्ट्रेलिया के बीचोबीच से होकर निकलती है।
ओरिएंटल एक्सप्रेस, थाईलैंड
ये ट्रेन बैंकॉक से सिंगापुर के बीच चलती है। 2180 किलोमीटर की यह यात्रा तीन दिन और दो रातों में पूरी हो पाती है।
ब्लू ट्रेन, दक्षिण अफ्रीका
प्रिटोरिया से केप टाउन के बीच चलती है। 1599 किलोमीटर लंबी इस यात्रा को पूरा करने में यात्रियों को 27 घंटे ट्रेन में गुजारने पड़ते हैं। ये ट्रेन एक लग्जरी होटल सरीखे है।