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अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा को किया हक्‍कानी नेटवर्क से अलग

अमेरिका लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकवादी संगठन मानता है। उन्‍होंने यह भी मान लिया है कि इस आतंकी समूह का मुख्य फोकस कश्मीर है, अफगानिस्तान नहीं।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 11:08 AM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 11:08 AM (IST)
अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा को किया हक्‍कानी नेटवर्क से अलग
अमेरिका ने लश्कर-ए-तैयबा को किया हक्‍कानी नेटवर्क से अलग

वाशिंगटन, जेएनएन। अमेरिकी कांग्रेस ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम(एनडीएए 2018) से उस प्रावधान को हटा दिया है, जिसने अमेरिका के रक्षा मंत्री को यह प्रमाणित करने की आवश्यकता जताई थी कि पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हक्कानी नेटवर्क दोनों की गतिविधियों को 'महत्वपूर्ण रूप से बाधित' करने के कदम उठाए हैं।

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पाकिस्‍तानी अखबर डॉन की खबर के मुताबिक, बिल के नए संस्करण में यह आवश्यकता केवल हक्‍कानी नेटवर्क तक ही सीमित कर दी है, जो कि पूरी तरह से अफगानिस्तान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए वॉशिंगटन की इच्छा को जाहिर करता है। मतलब ये है कि अमेरिका का पूरा फोकस हक्‍कानी नेटवर्क पर है, जो अफगानिस्‍तान में अमेरिकी फौज से टक्‍कर ले रहा है।

बता दें कि अमेरिकी कांग्रेस ने अफगानिस्तान में हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ चलाए जा रहे अमेरिकी अभियानों को समर्थन देने के एवज में पाकिस्तान को गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) से 70 करोड़ डॉलर की सहायता प्राप्त करने के लिए अधिकृत किया है्।

वैसे बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका लश्कर-ए-तैयबा को एक आतंकवादी संगठन मानता है। उन्‍होंने यह भी मान लिया है कि इस आतंकी समूह का मुख्य फोकस कश्मीर है, अफगानिस्तान नहीं। लेकिन हक्‍कानी नेटवर्क को लश्‍कर-ए-तैयबा से जोड़ने के से यह संदेश जा रहा था कि अमेरिका न केवल तालिबान के खिलाफ युद्ध जीतने में पाकिस्तान की मदद करना चाहता है, बल्कि कश्मीर पर इस्लामाबाद की स्थिति को भी बदलना चाहता है।

चूंकि अमेरिका पहले से ही लश्‍कर को आतंकवादी संगठन मानता है, इसलिए वाशिंगटन लगातार इस्लामाबाद को भारत के अंदर हमले करने से समूह को रोकने के लिए कहता रहेगा। लेकिन इसे हक्कानी नेटवर्क से हटाकर, अमेरिकी नीति निर्माताओं ने इस्लामाबाद को साफ और सीधा संदेश भेज दिया है, कि हकीकत नेटवर्क से लड़ना उनकी पहली प्राथमिकता है।

यह भी पढ़ें: लश्कर और जैश के खिलाफ सक्रिय रूप से पाकिस्तान का साथ देगा अमेरिका


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