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पाकिस्तान में टीवी एंकरों की बोलती बंद, जारी किए गए नए नियम कानून

पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटर अथॉरिटी (PEMRA) के अनुसार एंकर की भूमिका कार्यक्रम का संचालन निष्पक्ष तटस्थ और बिना भेदभाव के करने की है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 10:18 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 07:29 AM (IST)
पाकिस्तान में टीवी एंकरों की बोलती बंद, जारी किए गए नए नियम कानून
पाकिस्तान में टीवी एंकरों की बोलती बंद, जारी किए गए नए नियम कानून

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक ने टॉक शो के दौरान टीवी एंकरों को किसी भी प्रकार का विचार रखने से रोक दिया है। इसके साथ ही एंकरों की भूमिका सिर्फ संचालन तक ही सीमित कर दी गई है। मीडिया रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई है।

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डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, रविवार को जारी आदेश में पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटर अथॉरिटी (PEMRA) ने नियमित शो करने वाले एंकरों को निर्देश दिया कि वे अपने या दूसरे चैनलों के टॉक शो में 'विशेषज्ञ की तरह पेश न हों।'

व्यक्तिगत राय से बचना होगा

पीईएमआरए की आचार संहिता के मुताबिक, एंकर की भूमिका कार्यक्रम का संचालन निष्पक्ष, तटस्थ और बिना भेदभाव के करने की है। उन्हें किसी भी मुद्दे पर व्यक्तिगत राय, पूर्वाग्रहों या फैसला देने से बचना है।

नियामक निकाय ने मीडिया हाउसों को निर्देश दिया कि वे टॉक शो के लिए अतिथि का चयन बेहद सतर्कता से करें। चयन के दौरान उस खास विषय पर उनके ज्ञान और विशेषज्ञता का भी ध्यान रखें। रिपोर्ट के अनुसार, 'इस्लामाबाद हाई कोर्ट के 26 अक्टूबर के एक आदेश के बाद सभी सेटेलाइट टीवी चैनलों को यह आदेश जारी किया गया है। कोर्ट ने शहबाज शरीफ बनाम सरकार के मामले में विभिन्न टीवी टॉक शो पर संज्ञान लिया, जहां एंकरों ने आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए न्यायपालिका और उसके फैसलों की छवि खराब करने की कोशिश की। कोर्ट ने ऐसे उल्लंघनों पर पीईएमआरए द्वारा की गई कार्रवाई और सजा पर रिपोर्ट मांगी है।'

नवाज शरीफ की जमानत पर लगाया था 'डील' का आरोप

पीईएमआरए ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस बात पर भी संज्ञान लिया कि कुछ एंकर/पत्रकारों ने 25 अक्टूबर को कुछ टीवी चैनलों पर कयासों के आधार पर चर्चा की और आरोप लगाया कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अल अजीजा मामले में 26 अक्टूबर को जमानत देने के संदर्भ में एक कथित डील हुई है। इसमें कहा गया, 'ऐसा माना गया कि यह हाई कोर्ट की छवि और अक्षुण्णता को धूमिल करने और उसके फैसले को विवादित करने का प्रयास है।'


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