देशद्रोह में मौत की सजा को मुशर्रफ ने दी चुनौती, 9 जनवरी को लाहौर हाई कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित पाकिस्तान की विशेष अदालत की तीन जजों वाली पीठ ने 17 दिसंबर को मुशर्रफ को देशद्रोह का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
लाहौर, आइएएनएस। पाकिस्तान के पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने देशद्रोह मामले में विशेष अदालत के फैसले को लाहौर हाई कोर्ट में शुक्रवार को चुनौती दी। हाई कोर्ट की पूर्ण पीठ मुशर्रफ की अर्जी पर अगले साल नौ जनवरी को सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित विशेष अदालत की तीन जजों वाली पीठ ने गत 17 दिसंबर को मुशर्रफ को देशद्रोह का दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। वह मृत्युदंड पाने वाले पाकिस्तान के पहले पूर्व सैन्य शासक हैं। वह 2016 से दुबई में रह रहे हैं।
डॉन अखबार के अनुसार, वकील अजहर सिद्दीकी ने 76 वर्षीय मुशर्रफ की तरफ से हाई कोर्ट में 86 पेज की अर्जी दायर की है। इसमें संघीय सरकार और कई दूसरे लोगों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। अर्जी में कहा गया है कि विशेष अदालत का फैसला विसंगतियों और विरोधाभासी बयानों से भरा हुआ है। इस अदालत ने जल्दबाजी में सुनवाई कर फैसले का एलान कर दिया। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की अर्जी पर नौ जनवरी को लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस मजाहिर अली अकबर की अध्यक्षता वाली पूर्ण पीठ करेगी।
चौराहे पर शव टांगने के आदेश को भी दी चुनौती
हाई कोर्ट में दाखिल की गई अर्जी में मुशर्रफ के शव को चौराहे पर टांगने के आदेश को भी चुनौती दी गई है। विशेष अदालत के जजों ने अपने 167 पेज के आदेश में 66वें पैराग्राफ में लिखा है, 'हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आदेश देते हैं कि वे भगोड़े दोषी को पकड़ने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें और यह सुनिश्चित करें कि कानून के तहत सजा पर अमल किया जाए। अगर वह मृत पाए जाते हैं तो उनका शव लाकर इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिन लटकाया जाए।'
इस मामले में मिली है सजा
2007 में पाकिस्तान पर आपातकाल थोपने, संविधान को निलंबित करने और जजों को हिरासत में रखने के आरोप में मुशर्रफ के खिलाफ 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले में घिरते देख इलाज के बहाने मुशर्रफ 18 मार्च, 2016 को दुबई चले गए थे। तब से वह अपने मुल्क नहीं लौटे।