आतंकवाद पर पाकिस्तान की और बढ़ेगी मुश्किलें, अमेरिका ने दी ये चुनौती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महीना पहले नई अफगानिस्तान नीति की घोषणा करते हुए पाकिस्तान को आतंकवादियों को शरण देने के खिलाफ सीधी चेतावनी दी थी।
नई दिल्ली, नीलू रंजन। आने वाले दिनों में आतंकियों को पनाह देना पाकिस्तान के लिए और भी महंगा साबित हो सकता है। अमेरिका ने पाकिस्तान को साफ कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अच्छे और बुरे आतंकी की अलग-अलग पहचान नहीं हो सकती है और दोनों के खिलाफ समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए।
अमेरिकी दबाव का ही नतीजा है कि पाकिस्तान को पांच साल से हक्कानी नेटवर्क के चंगुल में फंसे कनाडाई परिवार की सुरक्षित रिहाई के लिए कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा। अगले हफ्ते भारत समेत छह देशों के दौरे पर आ रहे अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन पाकिस्तान को यही बताने जा रहे हैं। अमेरिकी विदेशी विभाग ने इसे साफ कर दिया है।
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक महीना पहले नई अफगानिस्तान नीति की घोषणा करते हुए पाकिस्तान को आतंकवादियों को शरण देने के खिलाफ सीधी चेतावनी दी थी। लेकिन पाकिस्तान की दलील थी कि वह आतंकवाद से सबसे अधिक प्रभावित देशों में है। अफगानिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के अलावा अन्य पाक विरोधी आतंकी संगठनों को पनाह दे रहा है। पाकिस्तान की दलील थी कि सभी आतंकी संगठनों पर एक समान कार्रवाई होनी चाहिए और सिर्फ उसे ही कार्रवाई करने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए। दो दिन पहले ड्रोन हमले में पूर्व टीटीपी आतंकी और जमात उल अहरार के प्रमुख उमर खालिद खोरासानी को मार गिराकर अमेरिका ने पाकिस्तान की शिकायत दूर कर दी। उमर खालिद पेशावर आर्मी स्कूल में लगभग 150 बच्चों को मारने के साथ-साथ पाकिस्तान में कई बड़े आतंकी हमले का आरोपी है।
टिलरसन की भारत-पाकिस्तान समेत छह देशों की यात्रा के पहले अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि पाकिस्तान के पास अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। यदि पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया तो अमेरिका अपने स्तर पर कार्रवाई करेगा। बताया जाता है कि कनाडाई परिवार की रिहाई के लिए पाकिस्तान सेना को मजबूरी में कार्रवाई करनी पड़ी थी। अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन की तर्ज पर कार्रवाई करने की पूरी तैयारी कर ली थी। पिछले दिनों कंधार में सैनिक अड्डे पर आतंकी हमले के बाद अमेरिका का रुख पाक समर्थित हक्कानी नेटवर्क और तालिबान के खिलाफ कड़ा हो सकता है। पाकिस्तान अधिकारियों के सामने टिलरसन यह मुद्दा उठा सकते हैं।
बता दें कि दो दिन पहले टिलरसन ने अपने भाषण में कहा था कि तालिबान के लिए कहीं भी सुरक्षित पनाहगाह नहीं होना चाहिए। उनका इशारा सीधा पाकिस्तान की ओर था। अमेरिकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान के भारत विरोधी रवैये को एक तरह खारिज कर दिया है। अमेरिका ने साफ कर दिया है कि भारत सिर्फ दक्षिण एशिया के नजरिये से उसकी नई विदेश कूटनीति का हिस्सा नहीं है। भारत की वैश्विक भूमिका है और अफगानिस्तान के विकास और वहां लोकतंत्र को मजबूत करने में उसकी केंद्रीय भूमिका रहेगी।
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