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पाकिस्तान में कड़ी सुरक्षा में दफनाया गया करीमा बलूच का शव, अंतिम संस्कार के दौरान गांव को किया गया सील

पाकिस्तानी महिला अधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच का शव रविवार को कड़ी सुरक्षा में दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान स्थित उनके गांव में दफना दिया गया। सरकार ने सिर्फ बलूच के निकटवर्ती स्वजनों को ही अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 06:57 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 07:11 PM (IST)
करीमा बलूच का शव रविवार को कड़ी सुरक्षा में दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान स्थित उनके गांव में दफना दिया गया।

क्वेटा (पाकिस्तान), एपी। पाकिस्तानी असंतुष्ट और महिला अधिकार कार्यकर्ता करीमा बलूच का शव रविवार को कड़ी सुरक्षा में दक्षिण-पश्चिम बलूचिस्तान स्थित उनके गांव में दफना दिया गया। प्रदर्शन और असंतोष भड़कने से डरी हुई सरकारी एजेंसियों ने सिर्फ बलूच के निकटवर्ती स्वजनों को ही अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति दी। इस दौरान मोबाइल फोन सर्विस को भी बंद रखा गया था। बलूच समर्थकों ने दावा किया कि अंतिम संस्कार के दौरान ना केवल गांव को सील कर दिया गया बल्कि उन्हें भी इसमें शामिल होने से रोका गया। रविवार सुबह ही उनका शव पाकिस्तान लाया गया था। एयरपोर्ट पहुंचते ही सैनिकों ने उनके शव को कब्जे में ले लिया था और अज्ञात स्थान पर ले गई थी।

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झील के पास मिला था शव 

37 वर्षीय करीमा बलूच वर्ष 2016 से कनाडा में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रही थीं। लापता होने के एक दिन बाद गत वर्ष 22 दिसंबर को उनका शव टोरंटो की एक झील के पास मिला था। टोरंटो पुलिस ने तो उनकी मौत को संदिग्ध नहीं माना है, लेकिन बलूच के समर्थकों ने पाकिस्तानी सेना द्वारा उनकी हत्या किए जाने का आरोप लगाया है। अल्पसंख्यक पश्तूनों के अधिकारों की वकालत करने वाले सांसद मोहसिन डावर ने कहा, 'करीमा बलूच के शव के साथ जैसा व्यवहार किया गया है, वह सचमुच डराने वाला है। पुलिस का यह कदम अलगाववाद को बढ़ावा देगा।' 

आइएसआइ की आलोचना 

डावर ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ की भी आलोचना की। उन्होंने यह भी कहा कि यह बलूच विद्रोह से निपटने की ना केवल एक रणनीति है बल्कि बलूचों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा है। बलूच के अंतिम संस्कार को लेकर सरकार की तरफ से तो कोई टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन इंटरनेट मीडिया पर चल रहे वीडियो फुटेज में कुछ सैनिकों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि वह बलूच नेता को अंतिम सलाम करना चाहते थे। गुपचुप तरीके से शव के अंतिम संस्कार के खिलाफ बलूच एकजुटता समिति ने सोमवार को बलूचिस्तान में एक दिन की हड़ताल और पूर्ण बंद का आह्वान किया।

100 प्रेरणादायी महिलाओं की सूची में शामिल थीं करीमा

वर्ष 2016 में करीमा बलूच को ना केवल बीबीसी की 100 प्रेरणादायी महिलाओं की सूची में शामिल किया गया था बल्कि वह 30 वर्ष की उम्र में बलूचिस्तान छात्र संगठन की नेता बनने वाली पहली महिला थीं। पाकिस्तान सरकार द्वारा आतंकवाद के आरोप लगाए जाने के बाद उन्होंने वर्ष 2015 में पाकिस्तान छोड़ दिया था। उनके परिवार को भी जान से मारने की धमकी दी गई थी। उनकी बहन माहगंज बलूच ने पिछले महीने बीबीसी उर्दू सेवा को बताया था कि करीमा की मौत से सिर्फ परिवार को ही नुकसान नहीं पहुंचा है बल्कि बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के लिए भी एक त्रासदी है।


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