'पाकिस्तान ने चार दशकों तक चलाया है 'सुरक्षित और शांतिपूर्ण' परमाणु कार्यक्रम'
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने कहा था कि भारतीय सेना की 'कोल्ड स्टार्ट नीति' के जवाब में पाकिस्तान ने कम दूरी वाले परमाणु हथियार विकसित किए हैं।
इस्लामाबाद, पीटीआइ। पाकिस्तान ने बुधवार को कहा कि उसने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएइए) को अपने रेडियोएक्टिव स्रोतों के आयात और निर्यात इरादे जाहिर कर दिए हैं। पाक का कहना है कि वह आइएइए की गाइडलाइंस को मानने के लिए तैयार है। साथ ही यह भी बताया कि वह सालों से इन गाइडलाइंस को स्वेच्छा से मानता आ रहा है।
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय (एफओ) ने एक बयान में कहा है कि रेडियोधर्मी स्रोतों की सुरक्षा पर आचार संहिता एक सुझाव मात्र है। यह कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं है, लेकिन वैश्विक परमाणु सुरक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आचार संहिता देशों को यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि सुरक्षा के उच्चतम मानकों के अनुरूप रेडियोधर्मी स्रोतों का उपयोग किया जाए।
एफओ ने कहा, 'पाकिस्तान 2005 के बाद से आइएइए की गाइडलाइंस और आचार संहिता का स्वेच्छा से पालन कर रहा है। आइएइए की सिफारिशों के अनुरूप सभी आवश्यक व्यवस्था और प्रणालियों को लागू कर दिया गया है।' बता दें कि अनुपूरक मार्गदर्शन का उद्देश्य उनके राष्ट्रीय कानून और प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुसार एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण के दौरान रेडियोधर्मी स्रोतों की सुरक्षा को बढ़ाना है। एफओ ने कहा कि पाकिस्तान ने चार दशकों से अधिक समय तक 'सुरक्षित और शांतिपूर्ण' परमाणु कार्यक्रम चलाया है।
गौरतलब है कि सितंबर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने कहा था कि भारतीय सेना की 'कोल्ड स्टार्ट नीति' के जवाब में पाकिस्तान ने कम दूरी वाले परमाणु हथियार विकसित किए हैं। यही बात अब अमेरिकी खुफिया प्रमुख ने भी कही है। अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान ने जो नए किस्म के परमाणु हथियार विकसित किए हैं। इन परमाणु हथियारों में समुद्र से छोड़ी जाने वाली क्रूज मिसाइलें, हवा से छोड़ी जाने वाली क्रूज मिसाइल और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल हैं। अमेरिका का यह भी कहना है कि भारत को पाकिस्तान से खतरा बढ़ गया है और पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने की गलती कर सकता है। पाकिस्तान में परमाणु हथियारों पर हमेशा से ही अतंकियों के खतरे की चिंता अंतरराष्ट्रीय समुदाय में होती रही है।