FATF से बचने के लिए पाकिस्तान का नया पैंतरा, वॉचलिस्ट से हटाए 1800 आतंकियों के नाम
पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स से बचने के लिए आतंकवादी निगरानी सूची से चुपचाप 18 महीने में 3800 आतंकवादियों को हटा दिया है।
न्यूयार्क, एजेंसियां। पाकिस्तान ने फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से बचने के लिए नया पैंतरा खोज निकाला है। पाकिस्तान ने अपनी निगरानी सूची से 3800 आतंकियों के नाम हटा दिए हैं। करीब 1800 नाम तो इस साल मार्च से अब तक हटाए गए। हटाए गए नामों में 2008 के मुंबई हमले में आरोपित जकीउर रहमान लखवी का नाम भी शामिल है। यह जानकारी आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) स्टार्टअप कैस्टेलम डाट एआई की जांच पड़ताल से सामने आई है।
दुनिया भर में आतंकी गतिविधियों को होने वाली फंडिंग पर नजर रखने वाली एजेंसी फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है। ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए एफएटीएफ ने गत फरवरी में पाक के समक्ष 27 शर्ते रखी थीं। पाक ने इनमें से 14 शर्तो पर ही थोड़ा बहुत काम किया है। इस मामले में एफएटीएफ जून माह में पाक की फिर समीक्षा करेगा। समझा जा रहा है कि सूची में हेराफेरी करने का मकसद किसी तरह ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना है।
एफएटीएफ की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2018 में पाकिस्तान की आतंकियों की सूची में 7600 नाम थे। नए डाटा स्रोतों का इस्तेमाल करने वाले कैस्टेलम ने पाया कि गत 9 मार्च से 27 मार्च के बीच इमरान खान सरकार ने पहले 1069 नाम सूची से हटा दिए। 27 मार्च के बाद 800 नाम और हटा दिए गए। अब इस सूची में फिलहाल 3800 नाम हैं। यानी डेढ़ साल में करीब इतने ही नाम सूची से हटा दिए गए।
यह सूची तैयार करने और अपडेट करने की जिम्मेदारी पाकिस्तान की एजेंसी नेशनल काउंटर टेररिजम एथारिटी (नाकटा) की है। सूची तैयार करने का मकसद यह कि इसमे दर्ज किसी व्यक्ति से कोई वित्तीय संस्थान किसी तरह का आर्थिक लेनदेन न करे। वाल स्ट्रीट जर्नल के अनुसार सूची से आतंकियों के नाम हटाने के पीछे न तो कोई स्पष्टीकरण दिया और न ही सूचना सार्वजनिक की गई।
हालांकि पाकिस्तानी गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ताहिर अकबर अवान स्वीकार किया कि कई त्रुटियों के कारण यह सूची दोषपूर्ण हो गई है। इसमें ऐसे लोगों के नाम भी शामिल थे जो मर चुके हैं या जिनके अपराध आतंकवाद के दायरे में नहीं आते। कैस्टेलम ने एआइ की मदद से सूचियों की गहनता से की गई जांच में पाया कि हटाए गए नामों के बारे में न तो उनके मरने की कहीं जानकारी है न ही उनके दोषमुक्त होने का विवरण। सूची में कई नाम ऐसे भी हटाये गये हैं जो आतंकियों के उपनाम हैं। यही वजह है कि अमेरिका और संरा की सूची में दर्ज नामों से यह सूची मेल नहीं खा रही है। नाकटा की सूची में कई नामों के साथ उनकी जन्मतिथि और आइडी नंबर भी दर्ज नहीं हैं। इस कारण नामों की पुष्टि में कठिनाई हो रही है।
समझा जा रहा है कि एफएटीएफ से किए गए वादे को पूरा करने के लिए पाकिस्तान ये सारी कवायद कर रहा है। इस मामले में कैस्टेलम के संस्थापक व अमेरिकी वित्त मंत्रालय पूर्व वरिष्ठ सलाहकार पीटर पीएटेटस्की ने कहा कि जिस रफ्तार और तादाद में सूची से नाम हटाए गए हैं वह अस्वाभाविक है। एक साथ करीब 3800 नाम हटाने की बात पहले कभी नहीं सुनी गई। इस वजह से सूची बनाने की प्रक्रिया सवालों के घेरे में है।