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एसबीपी की रिपोर्ट ने इमरान खान को दिया एक और झटका

सरकार के विदेशी निवेश को बढ़ाने के असफल प्रयासों के साथ आर्थिक गतिरोध के कारण पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति दांव पर लगी है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार जुलाई-मार्च (वित्त वर्ष 2020-21) के दौरान एफडीआई प्रवाह 30 प्रतिशत घटकर 1.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

By Mahen KhannaEdited By: Published: Fri, 07 Jan 2022 08:45 AM (IST)Updated: Fri, 07 Jan 2022 08:45 AM (IST)
एसबीपी की रिपोर्ट ने इमरान खान को दिया एक और झटका
पाक पीएम इमरान खान की सांकेतिक फोटो। (फाइल फोटो)

लाहौर, एएनआइ: इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार के विदेशी निवेश को बढ़ाने के असफल प्रयासों के साथ आर्थिक गतिरोध के कारण पाकिस्तान की आर्थिक प्रगति दांव पर लग रही है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई-मार्च (वित्त वर्ष 2020-21) के दौरान पाकिस्तान में एफडीआई प्रवाह 30 प्रतिशत घटकर 1.39 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 2.15 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। यह गिरावट दूरसंचार क्षेत्र सहित निवेश के लिए देश के बिगड़ते कारोबारी माहौल का एक संकेत है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने कम विदेशी निवेश के लिए समग्र कमजोर वैश्विक रुझानों को दोषी ठहराया है।

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इमरान के शासन में डालर के मुकाबले लुड़का पाकिस्तानी रुपया

पाकिस्तान की मुद्रा पीकेआर (पाकिस्तानी रुपया) का अवमूल्यन और जारी रखना और उच्च मुद्रास्फीति दर को विदेशी निवेशकों के लिए रिटर्न को प्रभावित करने वाले तत्काल कारकों के रूप में देखा जाता है, सिंगापुर पोस्ट के अनुसार पीकेआर का मूल्य दिसंबर 2021 तक यूएसडी के मुकाबले लगभग 1 रुपये से घटकर 177.49 रुपये हो गया है। इमरान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से इसमें 44 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। पीकेआर हाल के दिनों में दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक है।

पाक से विदेशी निवेशकों की रुचि घटी

सिंगापुर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार मुद्रास्फीति भी जनवरी-2021 में 5.65 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में दिसंबर के महीने में 12.3 प्रतिशत हो गई। पाकिस्तान की असंगत आर्थिक विकास दर, बढ़ते कर्ज भुगतान, देश के चालू खाते में वृद्धि और वित्तीय घाटे और खराब सुरक्षा परिदृश्य ने भी विदेशी निवेशकों के विश्वास को प्रभावित किया है। देश के आतंक वित्तपोषण और एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून अभी भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं हैं। इसके अलावा, राजनीतिक अस्थिरता और नागरिक-सैन्य संबंधों में निरंतर असंतुलन भी विदेशी निवेश को हतोत्साहित करता है।

सबसे प्रिय मित्र चीन भी हो रहा दूर

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान का सबसे प्रिय मित्र चीन भी देश में मौजूदा कारोबारी माहौल से सावधान है। चीन कई वर्षों से पाकिस्तान में सबसे बड़ा निवेशक रहा है। हालांकि, जुलाई-मार्च के दौरान चीनी एफडीआई प्रवाह पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 859.3 मिलियन अमरीकी डालर की तुलना में घटकर 650.8 मिलियन अमरीकी डालर हो गया था। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) निर्माण परियोजना के दूसरे चरण में निवेश करने के लिए चीन की अनिच्छा को दोनों देशों के बीच 6.8 अरब डॉलर मूल्य की रेलवे परियोजना को लेकर उभरते मतभेदों की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है।


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