पाकिस्तान ने नहीं बदला रवैया, सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए कुछ देशों के मुहिम का किया विरोध
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी जगह पाने के लिए चलाए जा रहे अभियान पर अपना विरोध दोहराया। पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत मुनीर अकरम ने बहस में भाग लिया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में नए विशेषाधिकार केंद्र सृजित करना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। पाकिस्तान ने भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी जगह पाने के लिए चलाए जा रहे अभियान पर अपना विरोध दोहराया। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत मुनीर अकरम ने बहस में भाग लिया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र में नए विशेषाधिकार केंद्र सृजित करना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है। सुरक्षा परिषद में लगातार उपस्थिति की इच्छा रखने वाले किसी भी देश को महासभा द्वारा समय-समय पर चुनाव की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से ऐसा करना चाहिए।
स्थायी सदस्यता के प्रस्तावों का समूह का किया विरोध
दो साल की गैर-स्थायी श्रेणी में 15 सदस्यीय परिषद के विस्तार के लिए इटली-पाकिस्तान के नेतृत्व वाले आम सहमति (यूएफसी) समूह के प्रयास का जिक्र करते हुए, मुनीर ने कहा कि एकल सदस्य देश के लिए स्थायी सदस्यता के प्रस्तावों का समूह पुरजोर विरोध करता है। पाकिस्तान के राजनयिक ने कहा कि यूएफसी का मानना है कि सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार के लिए उसका प्रस्ताव समझौते का बेहतरीन आधार प्रदान करता है। स्थायी सदस्यों की निर्णायक कार्रवाई पर सहमत न होने का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि नए स्थायी सदस्यों को जोड़ने से पक्षाघात की संभावना बढ़ जाएगी।
सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य
वैसे भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट की दावेदारी करता रहा है। भारत के अलावा दुनिया के तमाम अन्य देश भी संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार के साथ सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। सुरक्षा परिषद में केवल पांच स्थायी सदस्य हैं, जो अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस हैं। इसके अलावा दो साल के लिए 10 अस्थायी सदस्य बनाए जाते हैं, लेकिन उनके पास स्थायी सदस्यों की तरह वीटो का पॉवर नहीं होता।
भारत बना अस्थायी सदस्य
भारत एक जनवरी, 2021 को सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना था। भारत की सदस्यता 31 दिसंबर, 2022 को खत्म होगी। इस पूरे कार्यकाल में भारत के पास दो बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता आएगी।