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पाकिस्तान को चेतावनी- बलूचों से चीन की वार्ता पर सतर्क रहने की जरुरत, ना करे अंधा विश्वास

संपादकीय में कहा गया है कि यदि चीन असंतुष्ट बलूच आबादी को वापस राष्ट्रीय स्तर पर ला सकता है तो पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता से समझौता किए बिना यह स्वीकार्य होगा।

By Srishti VermaEdited By: Published: Thu, 22 Feb 2018 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 22 Feb 2018 03:43 PM (IST)
पाकिस्तान को चेतावनी- बलूचों से चीन की वार्ता पर सतर्क रहने की जरुरत, ना करे अंधा विश्वास
पाकिस्तान को चेतावनी- बलूचों से चीन की वार्ता पर सतर्क रहने की जरुरत, ना करे अंधा विश्वास

इस्लामाबाद (एएनआई)। 'पाकिस्तान सरकार को बलूच अलगाववादियों के साथ बातचीत करने और उन्हें राष्ट्रीय मुख्यधारा में वापस लाने के चीन के प्रयासों को लेकर सतर्क रहने की जरुरत है। इस बारे में कहा गया कि पाकिस्तान को 'दोस्त और सहयोगी' चीन पर अंधा विश्वास करने से बचना चाहिए।' पाकिस्तानी अखबार 'द नेशन' में छपे एक संपादकीय में ये बातें कही गई है।

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अपने कई अरब डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना की सुरक्षा के उद्देश्य से बलूच अलगाववादियों के साथ चीन की वार्ता को लेकर इस रिपोर्ट में आलोचना की गई है। लेख में आगे कहा गया है कि अगर यह सच है तो पाकिस्तान के लिए यह कई स्तरों पर चिंता का विषय है। अखबार ने तीन कारकों का हवाला देते हुए कहा है कि चीन का बलूचों के साथ वार्ता क्यों इस्लामाबाद के लिए लाभदायक नहीं होगा।

-बलूच अलगाववादियों के साथ चीन की वार्ता के अधिकार पर सवाल उठाए गए हैं। लेख में यह सुझाव दिया गया है कि चीन को इस बात पर स्पष्टीकरण देने की जरुरत है।

-अगर चीन और बलूचों के बीच वार्ता सफल हो जाती है तो यह बात सिद्ध हो जाएगी कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में संसद को कई सालों तक अंधेरे में रखा गया था, जिसका अब उल्लंघन किया जा रहा है। किसी भी सूचना का लीक होना लोकतांत्रिक पाकिस्तान में तानाशाह की ओर इशारा करता है।

-चीनी और बलूच अलगाववादियों के बीच वार्ता पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में देखी जायेगी, साथ ही यह तथ्य भी है कि बीजिंग ने अपने मूलभूत परियोजनाओं को बलूच अलगाववादी हमलों से रोकने या क्षतिग्रस्त होने से बचाने के एकमात्र उद्देश्य के साथ गैर-हस्तक्षेप के सिद्धांत पर समझौता किया है। 

संपादकीय में कहा गया है कि यदि चीन असंतुष्ट बलूच आबादी को वापस राष्ट्रीय स्तर पर ला सकता है तो पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता से समझौता किए बिना यह स्वीकार्य होगा।

हालांकि, लेख के माध्यम से इस्लामाबाद के अधिकारियों को ये भी चेतावनी दी गई है कि उन्हें इस तथ्य से जागरुक होना चाहिए कि सैन्य सहायता के लिए अमेरिका पर निर्भर रहने के बाद क्या स्थिति पैदा हुई और इसलिए अब चीन के साथ इस बात को दोहराने से बचने की जरुरत है।


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