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पाकिस्‍तान सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि करने वाला दूसरा दक्षिण एशियाई देश, जानें और देशों का हाल

दक्षिण एशियाई क्षेत्र में 3.6 बच्चों की वार्षिक प्रजनन दर के साथ पाकिस्‍तान शीर्ष दो सबसे तेजी से बढ़ती जनसंख्‍या वाली देशों में शामिल है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 05:36 PM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 08:24 PM (IST)
पाकिस्‍तान सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि करने वाला दूसरा दक्षिण एशियाई देश, जानें और देशों का हाल

इस्लामाबाद, प्रेट्र। पाकिस्तान प्रति युगल 3.6 बच्चों की वार्षिक प्रजनन दर के साथ दक्षिण एशियाई क्षेत्र में सबसे तेज जनसंख्या वृद्धि वाले शीर्ष दो देशों में शुमार है। फिलहाल पाकिस्तान की कुल जनसंख्या लगभग 22 करोड़ है। 2020 में विश्व की जनसंख्या पर यूएस पॉपुलेशन रेफरेंस ब्यूरो द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशियाई देशों में अफगानिस्तान की आबादी सबसे तेजी से बढ़ रही है। वहां पर प्रति युगल प्रजनन दर 4.5 है। लगभग 140 करोड़ लोगों के साथ भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। लेकिन इसकी प्रजनन दर घटकर प्रति युगल 2.2 हो गई है। पाकिस्तान की प्रजनन दर 3.6 है। इस प्रजनन दर पर 19.4 वर्षों में जनसंख्या दोगुनी हो जाती है। एक देश को अपनी जनसंख्या कम करने के लिए अपनी प्रजनन दर को प्रति वर्ष दो तक लाने की आवश्यकता है।

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अफगानिस्तान और पाकिस्तान सबसे तेजी से बढ़ती आबादी वाले देश

अध्ययन के अनुसार, जनसंख्या के मामले में दक्षिण एशिया दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। क्षेत्र के भीतर अफगानिस्तान और पाकिस्तान को सबसे तेजी से बढ़ती आबादी वाले देश के रूप में चिह्नित किया गया है।रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान की तुलना में ज्यादा प्रजनन दर है, जो प्रति युगल 4.5 है। लेकिन उच्च मृत्यु दर और कम जीवन प्रत्याशा के कारण देश की कुल आबादी अब भी 3.89 करोड़ है। बांग्लादेश की कुल आबादी 2020 में अनुमानित रूप से 2.3 की वार्षिक प्रजनन दर के साथ 16.98 करोड़ है। यह क्षेत्र में तीसरा सबसे तेजी से बढ़ता हुआ देश है। इसके बाद चौथे स्थान पर मालदीव है। भारत और नेपाल पांचवें स्थान पर हैं। श्रीलंका और भूटान अंतिम स्थान साझा करते हैं।

एशिया में तेजी से बढ़ रही जनसंख्‍या

अध्ययन में एशिया को दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र बताया गया है। 2050 तक इसकी कुल आबादी में 15 फीसद की वृद्धि का अनुमान है। इस समय एशिया की कुल आबादी लगभग 460 करोड़ है। हालांकि, भविष्य में जनसंख्या में बढ़ोतरी के पैटर्न में बदलाव दिख सकता है। पूर्वी एशिया में तीन फीसद की गिरावट और पश्चिमी एशिया में 3.8 फीसद की वृद्धि देखी जा सकती है। इस समय एशिया की कुल प्रजनन दर 2 है। दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में चीन की आबादी के बारे में अनुमान लगाया गया है कि यह 2050 तक कम हो जाएगी। अध्ययन में कहा गया है कि कुल 142 करोड़ 40 लाख लोगों के साथ चीन अभी भी दुनिया में सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, लेकिन इसकी प्रजनन दर घटकर 1.5 रह गई है।

अमेरिका में धीमी गति से बढ़ रही है जनसंख्‍या

अमेरिका में 32.99 करोड़ आबादी है। यहां की आबादी 2020 से 2050 के बीच बढ़ने का अनुमान है, लेकिन हाल के दशकों की तुलना में बहुत धीमी गति से जनसंख्‍या बढ़ रही है। अमेरिका में 1.7 की वार्षिक प्रजनन दर है, जो इसे अप्रवासियों को अपने कार्य बल को मजबूत करने की अनुमति देता है। आंकड़ों का अनुमान है कि मौजूदा वैश्विक आबादी 7 अरब 80 करोड़ है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि घटती प्रजनन दर की वजह से वैश्विक आबादी में 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों का बड़ा हिस्‍सा है और उनका हिस्‍सा 9 फीसद है। रिपोर्ट के अनुसार मध्य अफ्रीका सबसे युवा क्षेत्र है, जहां 46 फीसदी आबादी 15 साल से कम उम्र की है, जबकि दक्षिणी यूरोप दुनिया का सबसे पुराना क्षेत्र है, जहां 65 या उससे अधिक उम्र के 23 फीसदी लोग रहते हैं। 2020 से 25 फीसद से अधिक की वृद्धि के साथ 2050 तक दुनिया की आबादी को 9.9 अरब तक पहुंचने का अनुमान है।

अफ्रीका और यूरोप के देशों का हाल

91 देशों और क्षेत्रों का दुनिया की आबादी में लगभग 45 फीसद हिस्‍सा रहा है। यहां कुल प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। रिपोर्ट में कहा गया कि 21 देशों और क्षेत्रों में जहां कोविड 19 महामारी के दौरान कई विनाशकारी नुकसान हुए हैं, यहां लोगों की आयु 65 वर्ष है और वृद्धों की आबादी कम से कम 20 प्रतिशत है। यह प्रवृत्ति यूरोप और पूर्वी एशिया में सबसे अधिक है।

इसके विपरीत उप सहारा अफ्रीका और एशिया में कुछ देशों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि और उच्च प्रजनन दर जारी है। 25 देशों की जनसंख्या 2020 और 2050 के बीच कम से कम दोगुनी होने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक कुल प्रजनन दर 2.3 प्रति महिला है, जबकि प्रतिस्थापन स्तर 2.1 प्रति महिला है। कोरोना वायरस के संकट का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व, घरेलू आकार और उम्र बढ़ने से महामारी के तेजी से बढ़ने में योगदान होता है।


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