बुद्ध प्रतिमा के विध्वंस से पाकिस्तान की हुई किरकिरी, कटघरे में इमरान सरकार
पाकिस्तान में बुद्ध प्रतिमा के विध्वंस का यह पहला मामला नहीं है। बीते माह गिलगित-बाल्टिस्तान में बौद्ध स्मारक पर तोड़फोड़ किए जाने की खबर सामने आई थी।
इस्लामाबाद, एजेंसी। पाकिस्तान सेना द्वारा एक प्रचलित बुद्ध प्रतिमा के विध्वंस से इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को बहुत शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है। इस घटना के बाद अल्पसंख्यक हितों के मामलों को लेकर इमरान सरकार कटघरे में है। सेना ने अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए पाकिस्तान में समाज के कट्टरता को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है। इससे दूसरे धर्म के लोगों के लिए या पाकिस्तान में उदारवादी विचारों वाले लोगों के लिए बहुत कम जगह बची है। उधर, प्राचीन बुद्ध की प्रतिमा को तोड़ने के लिए देश के उत्तर-पश्चिम खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
पहले भी हो चुका है बौद्ध स्मारक पर हमला
पाकिस्तान में बुद्ध प्रतिमा के विध्वंस का यह पहला मामला नहीं है। बीते माह गिलगित-बाल्टिस्तान में बौद्ध स्मारक पर तोड़फोड़ किए जाने की खबर सामने आई थी। इस पूरी घटना पर भारत ने पाकिस्तान के समक्ष ऐतराज जताया था। भारत ने कहा कि पाकिस्तान प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक धरोहरों पर हमले रोके। भारत की ओर से ये भी कहा कि पाकिस्तान जितनी जल्दी हो सके, वह इलाका खाली कर दे।
धार्मिक असहिष्णुता के कई और मामले भी हुए उजागर
पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता के कई और मामले भी सामने आ चुके हैं। पाकिस्तान ने अल्पसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया जाता है। उनका उत्पीड़न किया जाता है। इसमें अक्सर अधिकारियों के मौन समर्थन हासिल होता है। हाल ही में इस्लामाबाद में एक मंदिर का निर्माण इस्लामवादियों के दबाव में बंद कर दिया गया था। इस्लामाबाद के लिए यह मंदिर सहिष्णुता का प्रतीक माना जाता था। कई मुस्लिम मौलवियों ने फैसला किया कि कोई हिंदू मंदिर नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है।
कई मुल्कों के लिए यह इलाका धार्मिक पर्यटल स्थल
श्रीलंका, कोरिया और जापान के लोगों के लिए तख्तबाई इलाका एक धार्मिक पर्यटन स्थल है, क्योंकि यह क्षेत्र उपमहाद्वीप के इतिहास में गांधार सभ्यता की शुरुआती शहरी बसावटों में से एक है। खैबर-पख्तूनख्वा के पुरातत्व विभाग के निदेशक अब्दुल समद ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि बुद्ध की दुर्लभ प्रतिमा तोड़ने के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। खैबर-पख्तूनख्वा का प्राचीन नाम गांधार है और इस क्षेत्र के लिए बौद्ध अनुयायियों के मन में अपार श्रद्धा है।