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इमरान सरकार ने सीपीईसी प्रोजेक्ट पर चलाई कैंची, जानिए ये है वजह

पाकिस्तान ने अपने सदाबहार मित्र देश चीन से आग्रह किया है कि वह सीपीईसी की सूची से इस परियोजना को बाहर कर दे।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 04:24 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 06:27 PM (IST)
इमरान सरकार ने सीपीईसी प्रोजेक्ट पर चलाई कैंची, जानिए ये है वजह
इमरान सरकार ने सीपीईसी प्रोजेक्ट पर चलाई कैंची, जानिए ये है वजह

इस्लामाबाद, पीटीआइ/आइएएनएस। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार ने पाकिस्तान-चीन आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर कैंची चलाते हुए एक बड़ी बिजली परियोजना रद कर दी है। सरकार की दलील है कि इस परियोजना की जरूरत नहीं है, क्योंकि पर्याप्त बिजली उत्पादन के लिए कई परियोजनाओं पर पहले से काम चल रहा है।

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डॉन अखबार के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के शासनकाल में सीपीईसी के तहत 1,320 मेगावॉट की रहीम यार खान बिजली परियोजना के निर्माण का खाका तैयार किया गया था। लेकिन इमरान सरकार ने चीन को औपचारिक तौर पर यह बता दिया है कि इस परियोजना में उसकी रुचि नहीं है। पाकिस्तान ने अपने सदाबहार मित्र देश चीन से आग्रह किया है कि वह सीपीईसी की सूची से इस परियोजना को बाहर कर दे। एक अधिकारी ने कहा, संयुक्त समन्वय समिति (जेसीसी) की आठवीं बैठक गत 20 दिसंबर को हुई थी।

इसमें योजना और विकास मंत्री मख्दूम खुसरो बख्तयार के नेतृत्व में पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया था। इस बैठक में कोयला आधारित रहीम यार खान बिजली परियोजना को रद करने का प्रस्ताव रखा गया था। इस परियोजना को मूल रूप से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकारी कायद-ए-आजम थर्मल कंपनी ने उस समय आगे बढ़ाया था, नवाज शरीफ के भाई शाहबाज प्रांत के मुख्यमंत्री थे।

पाकिस्तान पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
अखबार ने पाक अधिकारी के हवाले से कहा, बिजली उत्पादन की कई परियोजनाओं के ठेके पहले ही दिए जा चुके हैं। नई परियोजना की कोई जरूरत नहीं है। इससे देश की बदहाल आर्थिक स्थिति पर और बोझ बढ़ जाएगा।

400 परियोजनाओं को रद करने की तैयारी
अधिकारी के अनुसार, इमरान सरकार ऐसी करीब 400 परियोजनाओं को रद करने की तैयारी में है, जो राजनीतिक तौर पर प्रेरित हैं। इस बारे में इस माह होने वाली मध्यावधि समीक्षा बैठक में निर्णय लिया जा सकता है।

क्या है सीपीईसी प्रोजेक्ट
करीब तीन हजार किमी लंबे सीपीईसी से पश्चिमी चीन के काशगर को पाकिस्तान में अरब सागर के तट पर स्थित ग्वादर बंदरगाह से जोड़ा जाना है। 60 अरब डॉलर की लागत वाली इस परियोजना पर भारत को आपत्ति है क्योंकि यह गलियारा गुलाम कश्मीर से होकर गुजरेगा।

इमरान ने की थी समीक्षा कराने की बात
सत्ता में आने के बाद इमरान ने गत अक्टूबर में सीपीईसी की समीक्षा कराने की बात कही थी। उन्होंने हालांकि बाद में इस परियोजना को पूरा करने का वादा भी किया था। सत्ता में आने से पहले वह सीपीईसी की आलोचना करते थे।


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