दो द्वीपों पर कब्जे को लेकर पाक में चीन का विरोध, विपक्ष ने इमरान खान को दी चेतावनी
विरोधी नेताओं का आरोप है कि कब्जा कराने के लिये लाया गया यह विधेयक चीन की आर्थिक महत्वाकांक्षा को ही पूरा करेगा। इससे पाकिस्तान का कोई भला नहीं होने वाला। यहां पर चीन की गतिविधियां पर्यावरण का संकट भी उत्पन्न करेंगीं।
इस्लामाबाद, एएनआइ। आर्र्थिक गलियारे के नाम पर विकास का सपना दिखाने वाले चीन की बदनीयती अब पड़ोसी देश को भी समझ आने लगी है। दो द्वीपों को सौंपे जाने का मुद्दा अब गरमा गया है। इमरान सरकार सीधे निशाने पर आ गई है। जनता में व्यापक विरोध के बीच विरोधी दलों और कई संगठनों ने एलान किया है वे किसी भी कीमत पर दोनों द्वीपों को बेचने नहीं देंगे।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के लिये इमरान सरकार ने दक्षिण कराची स्थित दो द्वीपों को ड्रै्रगन को सौपने का फैसला किया है। सामरिक दृष्टि से ये द्वीप महत्वपूर्ण हैं और सिंध प्रांत के लंबे समुद्र तट पर फैले हुए हैं। पाक राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने इसके लिए बाकायदा पाकिस्तान आइलैंड विकास प्राधिकरण के माध्यम से दिये गये विधेयक पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
विधेयक के पारित होते ही सिंध और बलूचिस्तान में राजनीतिक भूचाल आ गया है। सिंध प्रांत में सत्तासीन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जरदारी ने इसे अवैध रूप से कब्जा करना बताया है। जियो सिंधी थिंकर्स फोरम ने कहा, हम अपनी जमीन को बेचने नहीं देंगे।
चीन-पाकिस्तान आर्र्थिक गलियारे को पाक सरकार और सेना के समर्थन के बावजूद गुलाम कश्मीर और बलूचिस्तान की जनता में व्यापक विरोध है। उनका मानना है कि ये सीधेतौर पर चीन का कब्जा है, लेकिन पाक सरकार इस मसले पर हो रहे विरोध को सख्ती से कुचलना चाहती है। मई माह में ऐसे ही कुछ संगठनों पर पाबंदी लगा दी गई थी। बलूचिस्तान की नेशलन पार्टी ने इसके खिलाफ देश भर में आंदोलन चलाने का एलान किया है।
विरोधी नेताओं का आरोप है कि कब्जा कराने के लिये लाया गया यह विधेयक चीन की आर्थिक महत्वाकांक्षा को ही पूरा करेगा। इससे पाकिस्तान का कोई भला नहीं होने वाला। यहां पर चीन की गतिविधियां पर्यावरण का संकट भी उत्पन्न करेंगीं। इस क्षेत्र में चीन के बड़े इरादे हैं और यह विधेयक उसकी योजना का एक हिस्सा भर है। पाकिस्तान के ही कुछ विशेषज्ञों ने सवाल खड़ा किया है कि इन दोनों ही द्वीपों पर विकास की कोई गुंजाइश नहीं है तो चीन इनको आर्थिक विकास के नाम पर क्यों लेना चाहता है।