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पाक की नापाक करतूत: चीन को दिए गिलगित-बाल्टिस्तान में अवैध खनन का अधिकार

गिलगत बाल्टिस्तान में बांध के साथ अब प्राकृतिक संसाधनों के खनन के लिए भी पाकिस्तान ने चीन के साथ कंट्रैक्ट किया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 12:00 PM (IST)Updated: Wed, 12 Aug 2020 12:00 PM (IST)
पाक की नापाक करतूत: चीन को दिए गिलगित-बाल्टिस्तान में अवैध खनन का अधिकार
पाक की नापाक करतूत: चीन को दिए गिलगित-बाल्टिस्तान में अवैध खनन का अधिकार

नई दिल्ली, आइएएनएस। अंतरराष्ट्रीय कानूनों व अपने संविधान का उल्लंघन कर पाकिस्तान ने चीन की खनन कंपनियों को गिलगित बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan, GB) में अवैध सोने व यूरेनियम की खनन के अधिकार दे दिए। केवल वही नहीं इस्लामाबाद ने बीजिंग के साथ करोड़ों रुपये का कंट्रैक्ट भी किया है जो दायमर डिविजन (Daimer division) पर एक बड़े बांध के निर्माण के लिए किया गया है। बता दें कि यह इलाका कानूनी तौर पर भारत का है।

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गिलगित बाल्टिस्तान में सोना, यूरेनियम और मॉलिब्डेनम के खनन के लिए 2000 से अधिक लीज (lease) अवैध तरीके से चीनी कंपनियों को पाकिस्तान ने दे दिया है।  पाकिस्तान की इमरान खान सरकार (Imran Khan government) ने पर्यावरण के मानदंडों की भी परवाह नहीं की। अवैध खनन के मामले में निर्वासित नेता और गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र के एक प्रमुख राजनीतिक संगठन यूनाइटेड कश्मीर पीपुल्स नेशनल पार्टी (UKPNP) के मुख्य प्रवक्ता नासिर अजीज खान (Nasir Aziz Khan) ने इसका खुलासा किया है। नासिर अजीज ने बताया, 'हम अगले महीने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में प्राकृतिक संसाधनों को लूटने की पाकिस्तान की इस साजिश का पदार्फाश करेंगे।' पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद 257 का हवाला देते हुए अजीज ने कहा कि इस्लामाबाद में सरकार को जीबी क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों को लूटने का कोई अधिकार नहीं है।

नासिर अजीज ने आगे कहा, 'यहां नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मीडिया रिपोर्ट नहीं कर सकता है। जीबी क्षेत्र में आवाज उठाने वाले लोगों को दंडित किया जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में जब कोई भी किसी निर्णय का विरोध नहीं कर सकता है तो प्राकृतिक संसाधनों को लूटा जा रहा है। पाकिस्तान चीन के हाथों का खिलौना बन गया है।' उन्होंने आगे कहा कि यहां के स्थानीय लोगों से भी इस बारे में सलाह नहीं ली गई। उनके हितों की पूरी तरह से अनदेखी की जा रही है। गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र में चीन को इस तरह उपकृत करने का ये कदम अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है।

चीन इस बात से अवगत है कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाका कानूनी रूप से भारत का है। इस परियोजना के 2028 में पूरा होने की उम्मीद है। आधारभूत परियोजनाओं को विकसित करने के लिए पाकिस्तान सरकार ने जिस चीनी कंपनी को 44,200 करोड़ रुपये का ठेका दिया है, वह चीन की सेना का हिस्सा है। चीन ने जैसा अक्साई चिन में किया, वैसा ही गिलगित बाल्टिस्तान में करना चाह रहा है। अक्साई चिन एक समय भारत का हिस्सा था लेकिन चीन ने उस पर कब्जा कर उसे अपना हिस्सा बना लिया और अब उसे विकसित करने में जुटा है।


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