इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने जनता को गुमराह करने के लिए नया हथकंडा अपनाना शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर लगातार मुंह की खा रही पाकिस्तानी सरकार ने ध्यान भटकाने के लिए अपने ही प्रांतों में विवाद पैदा कर लोगों को लड़वाने का काम शुरू कर दिया है। हालिया विवाद शांदुर पोलो फेस्टिवल-2021 के आयोजन से जुड़ा है। इसे लेकर खैबर पख्तूनख्वा व गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों में तनाव पैदा हो गया है।
शांदुर पोलो फेस्टिवल-2021 को किया गया रद
दरअसल, खैबर पख्तूनख्वा संस्कृति व पर्यटन प्राधिकरण ने 14 जून को एक नोटिस जारी करते हुए शांदुर पोलो फेस्टिवल-2021 के रद किए जाने का फरमान सुनाया। इससे जाहिर होता है कि खैबर पख्तूनख्वा सरकार इस आयोजन की मेजबान थी, जबकि शांदुर गिलगिट बाल्टिस्तान में आता है। इस नोटिस से गिलगिट बाल्टिस्तान के लोगों को बड़ा सदमा पहुंचा, क्योंकि पहले इस वार्षिक पोलो महोत्सव का आयोजन उनके प्रांत की तरफ से किया जाता था। गिलगिट बाल्टिस्तान के घिजेर जिले में स्थित शांदुर खैबर पख्तूनख्वा के चित्रल की सीमा से सटा है।
गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग कर रहे आंदोलन
लोगों का मानना है कि वैसे तो खैबर पख्तूनख्वा प्रशासन पहले से ही शांदुर पर अपनी दावेदारी करता रहा है, लेकिन इमरान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआइ) पार्टी की सरकार बनने के बाद उसने अपनी दावेदारी तेज कर दी है। हालांकि, गिलगिट बाल्टिस्तान के लोग एकस्वर में शांदुर को अपना हिस्सा बता रहे हैं और आंदोलन भी कर रहे हैं।
डायमर भाषा डैम को लेकर हो रहा विवाद
एक अन्य क्षेत्रीय विवाद डायमर भाषा डैम से जुड़ा है। डैम के जिस 10 किलोमीटर हिस्से में बिजली उत्पादन संयंत्र स्थापित किया जाना है, उस पर खैबर पख्तूनख्वा के कोहिस्तान निवासी हरबन जनजाति का दावा है। दूसरी तरफ, गिलगिट बाल्टिस्तान के डायमर जिले में रहने वाली थोर जनजाति भी उस जगह पर दावा करती है। लोगों का कहना है कि इन विवादों को निपटाने के बजाय पाकिस्तान सरकार ने मौन साध लिया है और दोनों प्रांतों के लोगों में लगातार टकराव होते रहते हैं। जानकारों का मानना है कि इमरान सरकार इसलिए विवादों को बढ़ावा दे रही है, ताकि इसकी आड़ में वह अपनी नाकामी छिपा सके।
बिजली आपूर्ति नहीं होने पर गिलगिट बाल्टिस्तान में जोरदार प्रदर्शन
बिजली आपूर्ति नहीं होने से परेशान लोगों व संस्थाओं ने सोमवार को स्कार्दू बाल्टिस्तान प्रशासन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। स्कार्दू निवासियों का कहना था कि बिजली कटौती ने लोगों की नाक में दम कर रखा है और प्रशासन को इसकी जरा भी चिंता नहीं है। इस महीने की शुरुआत में गिलगिट बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री खालिद खुर्शीद ने बिजली विभाग पर गुस्सा करते हुए कहा था कि बिजली की विशेष लाइनों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए।
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