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पाकिस्तान में कोई भी कानून या नीति इस्लामिक धर्मग्रंथ का खंडन न करे, CII करा रहा सुनिश्चित

पाकिस्तान में मौलवियों का राज है उस दौरान भी संस्था चाहकी है कि कोई भी कानून या नीति इस्लामिक धर्मग्रंथ का खंडन न करे।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 09:27 AM (IST)
पाकिस्तान में कोई भी कानून या नीति इस्लामिक धर्मग्रंथ का खंडन न करे, CII करा रहा सुनिश्चित

इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान में पहले से ही पादरियों का राज राज्य और धर्म पर निर्बाध शक्ति और आधिपत्य का आनंद ले रहा है, वहीं, मौलवियों की एक संवैधानिक रूप से स्वीकृत संस्था, काउंसिल इस्लामिक आइडियोलॉजी (CII), फिर भी यह सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी ले रहा है कि कोई कानून या नीति इस्लामिक धर्मग्रंथों का विरोध ना करे या उनके फैसलों का खंडन न करे।

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सीआईआई घरेलू हिंसा और बाल विवाह का समर्थन करता है और पाकिस्तानी संविधान खुद इस्लामवादी वर्चस्ववाद और इस्लामी धर्मग्रंथों की संप्रभुता को बरकरार रखता है। पत्रकार कुंवर खुलदून शाहिद द स्पेक्टेटर में लिखते हैं कि किसी भी तरह के बड़े धर्मग्रंथों के इस्तेमाल का विरोध करने वाले लोगों को ईशनिंदा के लिए दंडात्मक दंड संहिता की सजा से चुप करा दिया गया है।

पाकिस्तान में मौलवी कानून से बड़े हैं। यह इस उदाहरण से स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान के जाने-माने मौलवी तारिक जमील ने अप्रैल में, जी टीवी पर प्रधान मंत्री इमरान खान की उपस्थिति में महिलाओं के खिलाफ एक भड़काऊ टिप्पणी पारित की, जिसमें दावा किया गया कि COVID-19 'औरतों के गलत काम' करने की वजह से मानवता पर हावी हो गया।

यह घटना गुरुवार को एहसा टेलीथॉन कार्रक्रम के दौरान हुई। प्रधानमंत्री इमरान खान ने मौलाना तारिक जमील को ऐसे बयान देने से ना तो रोका और ना ही उनसे ऐसा कहने पर सवाल पूछा। टेलीथॉन के अगले दिन, खान ने 'बॉलीवुड और वेस्ट' को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान में फैल रही अश्लीलता पर बात करने का फैसला किया, जैसा कि यूके में बढ़ती तलाक दर के बाद किया गया था।

आपको बता दें कि पाकिस्तान में महिलाओं को भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है। कोई कानून और कोई सरकार अब तक उनके बचाव में नहीं आई है।


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