शपथ लेने से पहले पाक अखबार में छपा- अब और ज्यादा निरंकुश व घमंडी हो जाएंगे मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ लेने से पहले ही पाकिस्तान के अखबार में जो लेख छपा है उसमें उन्हें निरंकुश और घमंडी बताया है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। एक तरफ आज नरेंद्र मोदी दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं तो वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान में इसको लेकर उथल-पुथल चल रही है। हालांकि यह उथल-पुथल वहां कोई नई नहीं है। इसको समझने के लिए 2014 का रुख करना जरूरी होगा। उस वक्त जब पहली बार नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली थी तब पाकिस्तान में उन्हें कट्टर सोच वाला एक निरंकुश शासक बताया था। मीडिया में इस दौरान बढ़-चढ़कर गुजरात दंगों का भी जिक्र किया था। मीडिया डिबेट में इसको लेकर लगातार चर्चाओं का दौर गरम था। वह सब अब फिर से पाकिस्तान में दिखाई दे रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान के नामी अखबार डॉन में आज जो लेख छपा है वह फिर से इसी उथल-पुथल की तरफ इशारा कर रहा है। इसको इब्न अब्दुर रहमान ने लिखा है। रहमान पाकिस्तान की एक जानी-मानी शख्सियत हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। अपने लेख में उन्होंने लिखा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को मिली प्रचंड जीत के बाद भारत ने अपनी सेक्युलरिज्म की छवि को दफन कर दिया है। इसमें यहां तक लिखा है कि भाजपा ने इस चुनाव में जिस रणनीति से काम किया था वह पूरे देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने की नीति थी। इसमें उसको सफलता मिली है।
रहमान ने इस लेख में लिखा है कि मतदाताओं ने नरेंद्र मोदी को सत्ता में वापस लाकर इस ओर इशारा कर दिया है कि उनके लिए सेक्युलर होने की छवि केवल दिखावे भर के लिए ही है। मतदाताओं ने उन्हें इस चुनाव में प्रचंड जीत दिलाकर मोदी को अल्पसंख्यकों के प्रति निरंकुश बनने का लाइसेंस दे दिया है। उन्होंने अपने इस लेख से न सिर्फ पीएम मोदी को कटघरे में लाने की कोशिश की है बल्कि सेना पर भी सवाल खड़ा किया है। उन्होंने लिखा है कि यह जीत इस बात की तरफ इशारा है कि कश्मीर में मसले का निपटारा केवल और केवल सेना की वादी में सख्ती से ही किया जा सकता है।
उन्होंने लिखा है कि भाजपा ने यह पूरा चुनाव पाकिस्तान से भारत को खतरे के मुद्दे पर लड़ा था। उनकी सरकार में दोबारा वापसी भारत के पड़ोसी देश खासकर पाकिस्तान से भारत के संबंधों पर जरूर असर डालेगी। कश्मीर को लेकर उन्होंने पीएम मोदी की वापसी को बेहद बुरा बताते हुए लिखा है कि इससे वहां पर सेना को जहां नागरिकों पर दबाव बढ़ाने की मंजूरी मिल जाएगी वहीं नागरिकों को मिले बुनियादी अधिकार भी खत्म हो जाएंगे।
चुनाव का जिक्र करते हुए रहमान ने लिखा है कि इस चुनाव में कांग्रेस समेत लेफ्ट पार्टियों को भी अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ा है। जिस सीपीआई-एम को ममता ने पश्चिम बंगाल की सरकार से बाहर कर दिया था वह टीएमसी भी इस चुनाव में अपनी सीटें नहीं बचा पाई है। मोदी द्वारा उठाए गए देश की सुरक्षा और धर्म के मुद्दे के सामने लेफ्ट हो या कांग्रेस सभी पूरी तरह से विफल साबित हुए।
इसमें उन्होंने यह भी लिखा है कि इस पूरे चुनाव में उन्होंने अपने दो एजेंडों को भुनाने पर काम किया। इनमें पहला था देश की अर्थव्यवस्था और दूसरा था हिंदुत्व। इस दौरान मोदी ने खुद को योगी बताकर यह साबित कर दिया कि वह हिंदुत्व और हिंदुओं के प्रति समर्पित हैं। वहीं इस चुनाव में अल्पसंख्यक विशेषकर मुस्लिम और दलितों को जीत के लिए बली का बकरा बनाया गया।
इतना ही नहीं उन्होंने इस चुनाव में बड़ी चतुराई के साथ राष्ट्रियता या राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों की भावनाएं भड़काई और पाकिस्तान से भारत को डर को भी खूब भुनाया। चुनाव जीतने के लिए उन्होंने उस बालाकोट एयर स्ट्राइक का भी जिक्र किया जिससे पाकिस्तान पर कोई फर्क नहीं पड़ा। वह लोगों को यह बता पाने में भी सफल रहे कि उनके रहते पाकिस्तान को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने इसमें लिखा है कि इस चुनाव में मिली प्रचंड जीत मोदी को और अधिक घमंडी बना देगी।
उनके मुताबिक 2014 में भाजपा के नेताओं के सामने उन्हें समर्थन देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। वहीं इस बार उन्होंने किसी दूसरे नेता को अपने बराबर खड़ा नहीं होने दिया। इन सभी में केवल और केवल अमित शाह एकमात्र अपवाद हैं। अपने लेख में रहमान ने इमरान खान की तारीफ करते हुए कहा हे कि दोनों देशों और पूरे इलाके में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने जो कदम भारत की तरफ बढ़ाया वह न सिर्फ तारीफ के काबिल है बल्कि सही भी है।
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