Move to Jagran APP

प्रतिबंधित 'पाकिस्तान तालिबान' से बात के मुद्दे पर मलाला युसुफजई ने कहा, संगठन को बढ़ावा ना दे सरकार

उन्होंने दोहराया कि तालिबान ने दमनकारी कदम उठाए हैं। मलाला ने कहा कि वे महिलाओं के अधिकारों और लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ थे और उनके शासन में कोई न्याय नहीं था। मलाला ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।

By Neel RajputEdited By: Published: Thu, 28 Oct 2021 03:31 PM (IST)Updated: Thu, 28 Oct 2021 03:31 PM (IST)
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के कुछ समूहों के साथ बातचीत के बाद आया मलाला का बयान

इस्लामाबाद, एएनआइ। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कहा है कि इमरान खान सरकार को तालिबान का उत्थान नहीं करना चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कुछ समूहों के साथ बातचीत के बाद मलाला का यह बयान आया है। उन्होंने डान न्यूज के साथ एक साक्षात्कार के दौरान कहा, 'मेरी राय में आप समझौते में प्रवेश तब करते हैं जब आप मानते हैं कि दूसरे पक्ष की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए या फिर वो एक शक्तिशाली प्राधिकारी हैं।'

loksabha election banner

उन्होंने कहा, लेकिन तालिबान के पास सार्वजनिक स्तर का कोई समर्थन नहीं है, लोग किसी भी क्षेत्र से पाकिस्तान में यह नहीं कह रहे हैं कि वे तालिबान सरकार चाहते हैं। इसलिए, मेरी राय में हमें पाकिस्तान तालिबान का उत्थान नहीं करना चाहिए।' इस महीने की शुरुआत में इमरान खान ने कहा था कि उनकी सरकार प्रतिबंधित टीटीपी के कुछ समूहों के साथ बातचीत कर रही है, ताकि समूह अपने हथियार डाल सके और उन्हें देश के संविधान का पालन करने के लिए राजी कर सके।

मलाला ने कहा कि अच्छे और बुरे तालिबान के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए। डान ने मलाला के हवाले से कहा, 'किसी को अच्छे और बुरे तालिबान के बीच अंतर नहीं करना चाहिए क्योंकि उनकी सोच एक ही है- दमन की और अपने स्वयं के कानूनों को लागू करने की।' उन्होंने दोहराया कि तालिबान ने दमनकारी कदम उठाए हैं। मलाला ने कहा कि वे महिलाओं के अधिकारों और लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ थे और उनके शासन में कोई न्याय नहीं था। मलाला ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा, 'अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा पर मौजूदा अस्थायी प्रतिबंध तालिबान के पहले कार्यकाल के दौरान लंबे समय तक लगाए गए बैन की तरह नहीं होना चाहिए, उस वक्त प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था।

मलाला ने कहा कि हम उनके पिछले नियम को दोहराना नहीं चाहते हैं। हालांकि, उन्होंने कहा, तालिबान पर कार्यकर्ताओं और अफगान महिलाओं का दबाव एक सकारात्मक संकेत था। डान की रिपोर्ट के अनुसार, मलाला के गैर-लाभकारी संगठन की अफगानिस्तान में भूमिका पर उन्होंने कहा कि संगठन 2017 से ही वहां सक्रिय है और अब तक डिजिटल और महिलाओं की शिक्षा के लिए 20 लाख का निवेश किया जा चुका है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.