Musharraf High Treason Case: लाहौर हाईकोर्ट ने मुशर्रफ की अर्जी लौटाई, कही यह बात
लाहौर हाईकोर्ट Lahore High Court ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटा.) परवेज मुशर्रफ की अर्जी को लौटा दिया है। अदालत ने इसके पीछे यह वजह बताई है...
इस्लामाबाद, पीटीआइ। लाहौर हाईकोर्ट Lahore High Court ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल (रिटा.) परवेज मुशर्रफ की उस अर्जी को लौटा दिया है जिसमें उन्होंने राजद्रोह मामले में विशेष अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले को चुनौती दी है। न्यायालय ने इसके पीछे फुल बेंच (पूर्ण पीठ) की अनुपलब्धता का हवाला दिया है। लाहौर हाईकोर्ट (LHC) के रजिस्ट्रार कार्यालय ने मुशर्रफ के आवेदन को वापस किया।
बता दें कि विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने गत 17 दिसंबर को 76 वर्षीय पूर्व सैन्य शासक को देशद्रोह मामले में दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई थी। वकील अजहर सिद्दीकी Azhar Siddique ने बीते शुक्रवार को 76 वर्षीय मुशर्रफ की ओर से हाई कोर्ट में 86 पेज की अर्जी दायर की थी। इसमें केंद्र सरकार एवं अन्य को भी प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका में विशेष अदालत के फैसले को विसंगतियों से भरा हुआ बताया गया है।
याचिका में तीन सदस्यीय विशेष अदालत के फैसले को रद करने के लिए पूर्ण पीठ के गठन की मांग की गई है। अदालत के रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से बताया गया है कि सर्दी की छुट्टियों (winter vacations) के कारण पूर्ण पीठ उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मुर्शरफ के वकील ने बताया कि अदालत ने याचिकाकर्ता को जनवरी के पहले हफ्ते में इसे दोबारा दाखिल करने को कहा है।
यानी यह कहा जा सकता है कि हाईकोर्ट ने मुशर्रफ की याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज नहीं किया है। अदालत के निर्देशों के मुताबिक, मुशर्रफ की ओर से यह याचिका जनवरी के पहले हफ्ते में दाखिल की जा सकती है। मालूम हो कि इससे पहले लाहौर हाई कोर्ट ने मशर्रफ की याचिका पर नौ जनवरी को सुनवाई के लिए कहा था। मुशर्रफ मृत्युदंड पाने वाले पाकिस्तान के पहले पूर्व सैनिक शासक हैं। वह 2016 से ही दुबई में निर्वासित जीवन बिता रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि साल 2007 में पाकिस्तान पर आपातकाल थोपने, संविधान को निलंबित करने और जजों को हिरासत में रखने के आरोप में मुशर्रफ के खिलाफ 2013 में देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। विशेष अदालत के जजों ने 167 पेज के अपने फैसले में लिखा है कि यदि सजा दिए जाने से पहले ही मुशर्रफ की मौत हो जाती है तो भी उनके शव को मुल्क में लाया जाए और इस्लामाबाद के डी-चौक पर तीन दिन तक फंदे से लटकाकर रखा जाए।