अब मौलाना फजर्लुरहमान और उनके आजादी मार्च ने इमरान की नाक में किया दम
पाकिस्तान की इमरान सरकार के खिलाफ एक बार फिर से मोर्चा खोल दिया गया है। अब यहां के मदरसों में खासी दखल रखने वाले मौलाना ने आजादी मार्च निकाला है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पाकिस्तान के हालात सुधरते नहीं दिख रहे हैं। एक ओर पाकिस्तान कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के मामले में दूसरे देशों से मदद के लिए वहां के चक्कर लगा रहा है वहीं दूसरी ओर इन दिनों पाक के वजीरे आजम की अपने ही देश के नेता नींद हराम किए हुए हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम जमीयत उलेमा ए इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर्रहमान का है। उनके आजादी मार्च ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की नींद उड़ा रखी है। 27 अक्टूबर से शुरू हुआ उनका आजादी मार्च अब अपने चरम पर है। इसके परिणाम भी दिखने लगे हैं। सरकार की जड़ें हिलती दिख रही है। मौलाना की मांग है कि इमरान खान सरकार चलाने में नाकाम रहे हैं इस वजह से उनको इस्तीफा दे देना चाहिए। इसी मांग को लेकर उन्होंने ये आजादी मार्च शुरू किया।
मदरसों पर है अच्छी पकड़
मौलाना को जानने वाले जानते हैं कि वो पूरे पाकिस्तान में चल रहे मदरसों पर अच्छी पकड़ रखते हैं। उनकी एक आवाज पर इन मदरसों में पढ़ने वाले हजारों बच्चे और उससे जुड़े अन्य लोग जमा हो जाते हैं। अभी तक यही माना जा रहा था कि मौलाना के इस मार्च में मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे और वहां से जुड़े लोग ही शामिल होंगे मगर अब जब इसको अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिलने लगा है तो इमरान को अपनी कुर्सी हिलती हुई दिख रही है। मार्च में शामिल नेताओं की सिर्फ एक ही मांग है कि इमरान खान इस्तीफा दें उन्होंने नया पाकिस्तान बनाने को कहा था मगर वो पुराने को ही ठीक तरह से नहीं चला पा रहे हैं।
राशन-पानी साथ लेकर चल रहे मौलाना के समर्थक
आजादी मार्च में शामिल तबरेज का कहना है कि वो मौलाना के आजादी मार्च में शामिल होने के लिए पूरी तैयारी के साथ आए हुए हैं। उन्होंने अपनी गाड़ी में कम से कम 20 दिन का राशन पानी भी जमा किया है जिससे किसी तरह की समस्या न होने पाएं। शाह महमूद का कहना है कि वो भी पूरी तैयारी के साथ आए हुए हैं, यदि उनको एक दो सप्ताह तक किसी जगह पर बैठना भी पड़ेगा तो कोई समस्या नहीं होगी, वो इतना राशन पानी लेकर चल रहे हैं।
इमरान सरकार को घर में ही झेलनी पड़ रही मुसीबत
अब जब पाकिस्तान के नेताओं ने ही इमरान सरकार की मुखालफत शुरू कर दी है इस वजह से इमरान खान की मुसीबतें बढ़ गई हैं। इस आजादी मार्च में जमीयत उलेमा ए इस्लाम, मुस्लिम लीग नून के अलावा कुछ अन्य दल भी शामिल हैं।
सड़क किनारे लगाए गए हैं कंटेनर
पाकिस्तान पुलिस ने मौलाना के इस मार्च में सुरक्षा के लिए सड़क के किनारे बड़े पैमाने पर भारी भरकर कंटेनर लगा रखे हैं, इससे पहले भी कुछ ऐसे ही मार्च को रोकने के लिए यहां पर कंटेनरों का इस्तेमाल किया गया है। मौलाना अपना काफिला भी इसी तरह से एक कंटेनर में लेकर निकले हैं। इस कंटेनर में तमाम तरह की सुविधाएं मुहैया कराई गई है। सुविधाओं के अलावा मौलाना अपने खास 20 से 25 लोगों के साथ इस कंटेनर में मीटिंग भी कर सकते हैं।
इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहा जनसैलाब
5 दिन तक चलने वाले इस आजादी मार्च का क्लाइमैक्स 31 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होगा। कराची में ऐलान के बाद पाकिस्तान के अलग-अलग शहरों से लोग इस्लामाबाद की ओर बढ़ रहे हैं। क्वेटा, खैबर पख़्तूनखवा, रावलपिंडी, पेशावर से होते हुए ये मार्च इस्लामाबाद की तरफ बढ़ रहा है। इसमें बड़े पैमाने पर लोग शामिल हैं। सैकड़ों गाड़ियों का काफिला इसमें मौजूद है। इस आजादी मार्च में मदरसे, स्कूल, कॉलेज के छात्र भी शामिल हैं। इसके अलावा राजनीतिक दलों के काफिले, जिसमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी), पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), आवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और दूसरी छोटी-मोटी पार्टियां भी इमरान के खिलाफ हैं।
नवाज सरकार के खिलाफ भी साल 2014 में निकला था आजादी मार्च
इससे पहले साल 2014 में भी नवाज शरीफ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए इसी तरह से आजादी मार्च निकाला गया था। इस मार्च का नेतृत्व खुद इमरान खान व ताहिर-उल-क़ादरी कर रहे थे, अब उनके खिलाफ भी इसी तरह से मार्च निकाला गया है। इसका नेतृत्व मौलाना फजर्लुरहमान कर रहे हैं। पाकिस्तान की लगभग सभी बड़ी विपक्षी पार्टियां इसे अपना समर्थन दे रही हैं, कराची से शुरु हुए मार्च में हजारों लोग शामिल हुए हैं।
पाकिस्तान मुस्लिम लीग नून
पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन पाकिस्तान की एक प्रमुख राजनैतिक पार्टी है। इसके संस्थापक नवाज शरीफ है। इन दिनों वो बीमार चल रहे हैं और अस्पताल में भर्ती है। मौलाना के इस आजादी मार्च को मुस्लिम लीग नून का भी समर्थन प्राप्त है। चूंकि नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके हैं, ऐसे में उनका इस तरह के किसी संगठन को समर्थन देना अपने आप में एक बड़ी बात मानी जा रही है। एक मतलब ये भी निकाला जा रहा है कि नवाज शरीफ भी इमरान सरकार का तख्ता पलटना चाहते हैं। इस वजह से उनकी कुर्सी को और भी खतरा माना जा रहा है। नवाज सरकार की सरकार के खिलाफ भी इसी तरह से साल 2014 में आजादी मार्च निकाला गया था।
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