पाकिस्तान में पत्रकार की सरेआम हत्या, बेहद खतरनाक है पाक में पत्रकारिता करना
पत्रकारिता के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक देशों में से एक पाकिस्तान है। पाकिस्तान में पिछले 15 सालों में कम से कम 117 पत्रकार मारे गए हैं।
इस्लामाबाद, पीटीआइ। पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक हाइ सिक्योरिटी वाले क्षेत्र में अज्ञात हमलावरों ने एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मारे गए पत्रकार का नाम अंजुम मुनेर राजा है, जिसकी उम्र लगभग 40 वर्ष बताई जा रही है।
पुलिस ने बताया कि अंजुम गुरुवार की देर रात मोटरसाइकिल पर घर लौट रहा था, तभी बाइक पर आए हमलावरों ने उसे गोली मार दी। डॉन न्यूज के मुताबिक, यह घटना पाकिस्तानी सेना के राष्ट्रीय मुख्यालय से मिनट की दूरी पर बैंक रोड पर हुई। अंजुम के सिर, गर्दन और शरीर के अन्य हिस्सों पर छह गोलियां मारी। इससे अंजुम की मौके पर ही मौत हो गई। अति सुरक्षा वाले क्षेत्र में खुलेआम हमलावर एक पत्रकार को छह गोलियां मारकर फरार हो गए।
अंजुम के चाचा तारिक महमूद ने बताया कि अंजुम का एक पांच साल का बेटा है। वह सुबह एक स्कूल में बच्चों को पढ़ाता था और शाम को इस्लामाबाद स्थित एक उर्दू अखबार में उप-संपादक के तौर पर काम करते था। महमूद ने कहा कि उनके भतीजे की किसी के साथ कोई निजी दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने इस तरह के 'अत्यधिक सुरक्षित' क्षेत्र में अंजुम की हत्या पर हैरानी भी जताई।
पाकिस्तान के पत्रकार समुदाय ने अंजुम की हत्या पर निंदा व्यक्त करते हुए हमलावरों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। अंजुम के हत्यारों को अगर जल्द ही नहीं पकड़ा जाता है, तो पत्रकारों ने अपनी जान को भी खतरा बनाते हुए सुरक्षा की मांग की है। सुरक्षा ना दिए जाने पर पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन की धमकी दी है।
ज्ञात हो कि पिछले साल भी एक हथियारबंद हमलावर ने रिपोर्टर अहमद नूरानी पर भी हमला कर दिया था। गाड़ी से निकलते ही नूरानी के सिर पर चाकू से वार किया गया था। बता दें कि पत्रकारिता के लिए दुनिया में सबसे खतरनाक देशों में से एक पाकिस्तान है। फ्रांस स्थित वॉचडॉग रिपोर्टर विन्ड बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने पिछले साल मई में अपनी वार्षिक प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट में ये जानकारी दी थी। आरएसएफ द्वारा संकलित 2017 वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के मुताबिक, पाकिस्तान 180 देशों में से 139वे स्थान पर है। पाकिस्तान में पिछले 15 सालों में कम से कम 117 पत्रकार मारे गए हैं। इनमें से केवल तीन मामले ही अदालतों में पहुंचे हैं।