तो इस वजह से चीन की करेंसी को CPEC इलाके में नहीं चलाने देना चाहता है पाक
पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान और चीन के बीच CPEC को लेकर कुछ खींचतान दिखाई दे रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान ने चीन को लगातार दूसरा बड़ा झटका दिया है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। पाकिस्तान ने चीन को ग्वादर फ्री जोन में उसकी करेंसी चलाने से संबंधित मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। इसके पीछे पाकिस्तान ने देश की आर्थिक संप्रभुता पर खतरे को बड़ी वजह बताया है। हालांकि जानकार इसके पीछे कुछ और वजह मान रहे हैं। इनका मानना है कि इसके पीछे बड़ी वजह आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक है। पाक अधिकारियों के अनुसार, 'चीन रेनमिनबी (RMB) मुद्रा के अंतरराष्ट्रीयकरण करने की अपनी नीति के तहत पाकिस्तान में अपनी करेंसी को शुरू करना चाहता है। रेनमिनबी चीनी मुद्रा का आधिकारिक नाम है। दरअसल, चीनी अधिकारी अमेरिकी डॉलर और पाक रुपये के इस्तेमाल के कारण करेंसी एक्सचेंज से जुड़े जोखिम से बचना चाहते थे।
करेंसी के जरिए आर्थिक पेंठ बनाना चाहता है चीन
ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने इस बाबत दैनिक जागरण से बात करते हुए कहा कि एक तरफ चीन जहां अपनी करेंसी के जरिए पाकिस्तान में इकॉनिमी डॉमिनेंस बनाना चाहता है वहीं पाकिस्तान के राजनेता इसके लिए तैयार नहीं है। इन नेताओं का मानना है कि ऐसा करना देश के लिए सही नहीं होगा। वहीं चीन इसके जरिए सीपैक में लगी राशि की वापसी को भी सुनिश्चित करना चा रहा है। पंत मानते हैं कि पाकिस्तान के लिए सीपैक इलाके में चीनी की करेंसी को चलाने से इंकार करने के पीछे दूसरी बड़ी वजह यह भी है कि यदि वह ऐसा करता है तो उस पर सवाल खड़े हो जाएंगे।
सही नहीं पाक के आर्थिक और राजनीतिक हालात
ऐसा इसलिए होगा कि क्योंकि किसी दूसरे देश में विदेशी करेंसी का इस तरह से खुला इस्तेमाल पाकिस्तान को आर्थिक नाकेबंदी की तरफ धकेल सकता है। अभी तक पूरी दुनिया में डॉलर की खरीद-फरोख्त बेहद आम बात है, लेकिन इसको भी अन्य देशों में उस देश की करेंसी के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाता है। मौजूदा समय में पाकिस्तान के आर्थिक और राजनीतिक हालात भी सही नहीं हैं। वहीं चीन इस बात को लेकर भी खासा चिंतित है कि सीपैक के कई प्रोजेक्ट समय से काफी पीछे चल रहे हैं। ऐसे में उसके यहां किए गए अरबों के निवेश पर सवाल खड़ा हो रहा है। जब तक यह प्रोजेक्ट पूरे नहीं होते हैं तब तक उसका निवेश भी अधर में है क्योंकि इसका रिटर्न उसको नहीं मिल रहा है। अपने रिटर्न को सुनिश्चित करने के लिए भी चीन इस इलाके में अपनी करेंसी को चलाने का इच्छुक है। इसके अलावा वह अपने आपको यहां पर एक डॉमिनेंट फैक्टर के रूप में भी देखता है।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान भी है खिलाफ
RMB के इस्तेमाल की चीन की मांग का वित्त मंत्रालय ही नहीं स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने भी कड़ा विरोध किया था। अब दोनों ही पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि आगे भी सभी वित्तीय लेनदेन मौजूदा करंसी स्वैप व्यवस्था के तहत ही होंगे। पाक मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि चीन चाहता था कि पाक उसकी मांग माने और इसे लांग-टर्म प्लान (2014-2030) के अंतिम मसौदे में शामिल करे। इस्लामाबाद की ओर से पेइचिंग को भेजे गए लॉन्ग टर्म प्लान के मसौदे में बताया गया है कि पाकिस्तान चीन में बने शांघाई पायलट फ्री ट्रेड जोन और दूसरे जोन्स के अनुभव से ग्वादर पोर्ट फ्री जोन बनाएगा।
समय के साथ कड़ी हो जाती है चीन की नीतियां
इस दौरान प्रोफेसर पंत ने यह भी बताया कि चीन की कई नीतियां समय के हिसाब से बदलती और कड़ी होती जाती हैं। यह बात सीपैक को लेकर भी सामने आ रही है। उसकी कर्ज देने की शर्तें लगातार कड़ी हो रही हैं। यह भी जगजाहिर है कि पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालात इस कर्ज की भरपाई करने में भी नाकाम हैं। वहीं दूसरी तरफ सीपैक को लेकर अमेरिका खुलेतौर पर यह बात कह चुका है कि यह प्रोजेक्ट विवादित इलाके से गुजर रहा है। इसके अलावा कई अन्य देश इस प्रोजेक्ट से इत्तफाक नहीं रख रहे हैं। भारत लगातार अंतरराष्ट्रीय मंच पर इसकी बात उठा रहा है। इसके चलते चीन और पाकिस्तान की समस्या भी लगातार बढ़ रही है।
डैम प्रोजेक्ट का ऑफर ठुकरा चुका है पाक
यहां पर यह बात ध्यान में रखने वाली है कि कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान ने एक डैम प्रोजेक्ट के लिए 14 अरब डॉलर की चीनी मदद की पेशकश को ठुकरा दिया था। पाकिस्तान का कहना था कि चीन 60 अरब डॉलर के CPEC प्रॉजेक्ट से इस डैम प्रॉजेक्ट को बाहर रखे और इसे पूरी तरह पाकिस्तान को ही बनाने दे। यह पॉजेक्ट पीओके में स्थित है जिस पर भारत अपना दावा करता है। इस लिहाज से देखा जाए तो कुछ ही दिनों में पाकिस्तान की तरफ से चीन को मिला यह दूसरा बड़ा झटका है। इससे पहले एशियन डिवेलपमेंट बैंक ने इस प्राजेक्ट के लिए कर्ज देने से मना कर दिया था क्योंकि यह विवादित इलाके में बन रहा है
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