रोहिंग्या के नाम पर आतंकियों का ना 'पाक' खेल, अब ये है इनकी नई चाल
पाकिस्तान के अंदर जमात उद दावा की तरफ से रोहिंग्या मुसलमानों के नाम पर चंदा लिया जा रहा है, उसे ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी. पंत बेहद खतरनाक मान रहे हैं।
इस्लामाबाद, [स्पेशल डेस्क]। एक तरफ जहां म्यांमार में हिंसा के बाद रोहिंग्या मुसलमानों को रखाइन इलाकों से लगातार मारकर भगाया जा रहा है, जिसके चलते ये सभी बांग्लादेश, इंडोनेशिया समेत दूसरे पड़ोसी देशों में शरणार्थी की जिंदगी जी रहे हैं। तो वहीं, दूसरी तरफ रोहिंग्याओं को मदद देने के नाम पर पाकिस्तान में संयुक्त राष्ट्र से आतंकी करार दिए गए संगठन जमात उत दावा और फलह-ए-इंसानियत लोगों से अखबारों में इश्तेहार और अन्य तरीके से खुलेआम चंदे की वसूली करने में लगे हुए हैं।
रोहिंग्या मुसलमानों के नाम पर पाक में वसूली
रावलपिंडी में लोगों को अख़बारों के साथ सोमवार को एक अलग से इश्तेहार मिला जिसमें ‘बर्मा के पीड़ित मुसलमान’ जो कि म्यांमार का पुराना नाम है उसके नाम पर चंदा देने की अपील की गई है। स्थानीय उर्दू अखबार में दिए गए एक पेज के दोनों तरफ इश्तहार में जमात-उद-दावा और इससे जुड़े संगठन फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की तरफ से ये अपील है।
पाक के सभी जिलों में रोहिंग्या के नाम पर वसूली
इश्तेहार के अंदर पुरुष, महिला और बच्चों की दयनीय तस्वीरें दिखाकर उनसे मदद के नाम पर पैसे की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि एक परिवार को करीब 500 डॉलर देकर उन्हें तीन महीने तक की मदद की जा सकती है। इसके अंदर संपर्क करने के लिए फोन नंबर्स भी दिए गए हैं। इसी तरह, एक घायल के इलाज में 150 डॉलर खर्च करने की बात इसमें कही गई है। इस संगठन के प्रवक्ता अब्दुल रहमान ने कहा, हमारी तरफ से रोहिंग्या मुसलमानों के लिए लोगों से चंदे की वसूली पाकिस्तान के सभी जिलों के अंदर की जा रही है।
उनकी तरफ से यह भी दावा किया गया है कि ग्रुप के सदस्य कई देशों में पहले से रोहिंग्या मुसलमानों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे भाइयों ने इंडोनेशिया जाकर वहां पर अस्थाई लकड़ी और फाइबर से घरों का निर्माण कराया और उनके लिए किराने का सामान का इंतजाम किया। इसके साथ ही, वहां पर ब्रेड प्लांट भी लगाया।
संदेह के घेरे में वसूली के पैसे
रहमान ने कहा कि बांग्लादेश और पश्चिमी म्यांमार के बीच नफ नदी के किनारे फलह ए इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) के सदस्य कैंपों के अंदर 63 हजार रोहिंग्या शरणार्थियों को खाने का इंतजाम पिछले कई दिनों से कर रहे हैं। हालांकि, वायस ऑफ अमेरिका की वेबसाइट ने बताया कि वह इन बातों को पुख्ता नहीं कर पाए।
एफआईएफ का दावा है बिल्कुल झूठा
उधर, बांग्लादेश के पत्रकार अली एहसान जो कॉक्स बाज़ार में रहते हैं और रोहिंग्या मामले को कवर किया है एफआईएफ संगठन के इस दावे को पूरी तरह से झूठा बताया है। उन्होंने कहा कि 63 हज़ार काफी बड़ी संख्या होती है। अगर कोई इस स्तर पर वहां चैरिटी कर रहा होता तो वे उनके बारे में जरूर सुनते। एहसान अली ने बताया कि अगर वहां पर कोई इस तरह की मदद इन रोहिंग्याओं के लिए कर रहा है तो वह है इस्लामिक मूवमेंट ऑफ बांग्लादेश। ठीक इसी तरह बांग्लादोश के टेलीविज़न चैनल 24 की संवाददाता और कोक्स बाज़ार जिले के टेकनाफ की रहनेवाली नुपा आलम ने बाताया कि जमात उद दावा या फलह ए इंसानियत की तरफ से जिस संगठन के बारे में रोहिंग्या को खिलाने का दावा किया जा रहा है वह पूरी तरह से गलत है।
रोहिंग्या के नाम पर वसूली बेहद खतरनाक
रोहिंग्या मुसलमानों की मदद के नाम पर जिस तरह पाकिस्तान के अंदर जमात उद दावा और उनसे जुड़े संगठन की तरफ से किया जा रहा है उसे ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी. पंत बेहद खतरनाक मान रहे हैं। Jagran.com से खास बातचीत में हर्ष वी. पंत ने बताया कि मुसलमानों के नाम पर अत्याचार का मसला उठाना पाकिस्तान में कोई नई बात नहीं है। लेकिन रोहिंग्या शरणार्थियों के नाम पर आतंकी संगठन पाकिस्तान के अंदर नया खेल खेल रहे हैं। क्योंकि, इसके जरिए ये संगठन आसानी से काफी तादाद में पैसा इकट्ठा कर लेंगे और स्थानीय लोगों से काफी समर्थन भी मिलेगा। लेकिन, ये उन पैसों को हवाला के जरिए आगे भेज देंगे और आतंकी वारदातों को अंजाम देने में उसका इस्तेमाल किया जाएगा।
हर्ष वी. पंत के मुताबिक, ये आतंकी संगठन पाकिस्तान के अंदर कभी कश्मीर तो कभी फिलीस्तीन की बात करते हैं। ऐसे में चंदे कि इस पैसे से वह आतंकी गतिविधियों को और सक्रिय करेंगे। उन्होंने बताया कि इस संगठन पर यूएन की तरफ से वित्तीय लेनदेन पर भी प्रतिबंध लगाया गया था।