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हाफिज सईद पर कार्रवाई की तैयारी में पाकिस्तान, दिखावा या सच्चाई

हाफिज सईद के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई किए जाने की योजना है। लेकिन सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान दिखावटी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 01 Jan 2018 05:17 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 12:06 PM (IST)
हाफिज सईद पर कार्रवाई की तैयारी में पाकिस्तान, दिखावा या सच्चाई

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। आतंकवादी संगठन लश्कर-ए तोयबा की स्थापना करने वाले हाफिज सईद की हरकतों से बदनामी झेल रही पाकिस्तान सरकार इस आतंकी सरगना के संगठनों और वित्तीय स्रोतों पर कब्जा करने जा रही है, लेकिन यह कब्जा दिखावटी साबित हो सकता है। समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार, पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने विधि मंत्रालय और सभी राज्य सरकारों को हाफिज सईद की देखरेख में चल रहे तथाकथित समाजसेवी संगठनों- जमात उत दावा और फलाहे इंसानियत फाउंडेशन के अधिग्रहण की रूप-रेखा तैयार करने का कहा है।

चूंकि यह खबर ऐसे समय आई है जब अमेरिकी प्रशासन की ओर से यह साफ संकेत दिया जा रहा कि वह पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोक सकता है इसलिए इसकी भी आशंका है कि पाकिस्तान सरकार हाफिज सईद के संगठनों पर कब्जे का दिखावा करने की तैयारी कर रही है। इसकी आशंका इसलिए और अधिक है, क्योंकि पाकिस्तानी एजेंसियां हाफिज सईद के खिलाफ ऐसे सुबूत जुटाने में हमेशा नाकाम रहीं जिससे उसे नजरबंद रखने का औचित्य सही सिद्ध किया जा सके। मुंबई हमले के बाद से उसे चार-पांच बार नजरबंद किया गया, लेकिन हर बार वह सुबूतों की कथित कमी के कारण बाहर आ गया। पाकिस्तान के मामलों पर निगाह रखने वाले जानकारों का कहना है कि मौजूदा माहौल में यही मानकर चलने में भलाई है कि पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका, भारत समेत विश्व समुदाय की आंखों में धूल झोंकने जा रहा है।

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हाफिज के संगठनों पर एक्शन !

बताया जा रहा है कि 19 दिसंबर को उच्चस्तरीय बैठक में विस्तार से योजना बनाई गई कि किस तरह से हाफिज के संगठनों पर आघात करना है। उच्च स्तरीय बैठक में सभी प्रांतीय सरकारों और लॉ प्रवर्तन एजेंसियों को वित्त मंत्रालय ने निर्देश दिया कि 28 दिसंबर तक वो एक एक्शन प्लान पेश करें ताकि हाफिज के दो चैरिटी विंग जमात-उद-दावा और फलह–ए-इंसानियत फाउंडेशन के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। बैठक में भाग लेने वाले अधिकारियों में से एक ने बताया कि ये ज्यादा संभव है कि अगर हाफिज के संगठनों पर पाकिस्तान कार्रवाई करने में नाकाम रहता है तो उसके खिलाफ प्रतिबंध लगा दिया जाए। आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई का जायजा लेने के लिए यूएन सुरक्षा परिषद की एक टीम जनवरी में पाकिस्तान का दौरा करेगी। अधिकारी के मुताबिक अगर परिषद के सदस्यों की तरफ से किसी तरह की नकारात्मक टिप्पणी आई तो पाकिस्तान को गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

200 एकड़ में फैला है जमात का मुख्यालय
19 दिसंबर के दस्तावेज में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि सईद के दोनों संगठनों के खिलाफ किस तरह से कार्रवाई की जाएगी। इसमें इस बात का जिक्र है कि सरकारी एजेंसियों की मदद से एंबुलेंस सेवा और चैरिटी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले दूसरे वाहनों को कब्जे में ले लिया जाएगा। इसके साथ ही लॉ प्रवर्तन एजेंसी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर दोनों चैरिटी संगठनों के खातों का पड़ताल करेगी कि हाफिज सईद किस तरह से पैसे इकट्ठा करता था। दस्तावेज में ये भी बताया है कि लाहौर के करीब 200 एकड़ में फैले जमात-उद-दावा के मुख्यालय को पंजाब सरकार को सौंप दिया जाएगा। 

चैरिटी के नाम पर आतंकियों को समर्थन
अमेरिका मानता है कि जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेश आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के दो चेहरे हैं। लश्कर –ए-तैयबा की स्थापना हाफिज ने 1987 में की थी। 2008 में मुंबई हमलों के लिए इस संगठन को भारत और अमेरिका दोनों जिम्मेदार बताते हैं। ये बात अलग है कि सईद इन आरोपों से इनकार करता रहा है। 19  दिसंबर के जो दस्तावेज सामने आए हैं उनमें फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स(FATF) सईद के दो संगठनों का जिक्र करता है। एफएटीफ एक अंतरराष्ट्रीय समूह है जो मनी लॉन्ड्रिंग,आतंकियों को वित्तीय मदद के खिलाफ कार्रवाई करता है। एफएटीएफ ने साफ कर दिया है कि या तो पाकिस्तान आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करे या तो निगरानी सूची में शामिल होने के लिए तैयार रहे।

पाकिस्तान का गोलमोल जवाब
इस मुद्दे पर पाकिस्तान के गृहमंत्री अहसान इकबाल से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि देश में जितने भी नॉन स्टेट एक्टर्स हैं उनके वित्तीय स्रोतों पर लगाम लगाने की बात कही गई है। हालांकि लगे हाथ उन्होंने ये भी कहा कि ये कदम ना तो अमेरिका के दबाव में किये जा रहे हैं ना ही किसी को खुश करने की कोशिश की जा रही है। एक जिम्मेदार देश के नाते दुनिया के प्रति जिम्मेदारी को निभाने की कोशिश कर रहे हैं।

फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के प्रवक्ता सलमान शाहिद ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान सरकार की तरफ से नोटिस नहीं मिला है। ना ही किसी ने ये पूछा कि उनके संगठन के पास कितनी संपत्ति है और वो क्या करते हैं।अगर पाकिस्तान की सरकार इस प्लान को अमलीजामा पहुंचाती है तो शायद से पहला मौका होगा जब हाफिज सईद के संगठनों के खिलाफ पुख्ता कार्रवाई होगी। सईद दावा करता है कि इस्लामी शिक्षा और जरूरतमंदों के लिए वो 300 से ज्यादा सेमिनार कर चुका है, बड़े पैमाने पर स्कूल चलाने के साथ रोगियों की सेवा के लिए एंबुलेंस मुहैया कराता है। जेयूडी और एफआइएफ के पास करीब पांच हजार स्वंयसेवक है और 100 से ज्यादा लोग सैलरी पर काम करते हैं।

अगस्त में जमात-उद –दावा ने मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया था और संसद के दो उपचुनावों में प्रत्याशियों का समर्थन किया था। आप को बता दें कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने कहा था कि जिस वक्त उन्होंने लश्कर पर प्रतिबंध लगाया था उस वक्त वो हाफिज सईद के बारे में कम जानते थे। लेकिन अब जो कुछ भी उन्हें समझ में आता है तो उससे साफ है कि हाफिज एक बेहतर इंसान हैं न केवल वो हाफिज को पसंद करते हैं बल्कि वो भी उनको पसंद करता है।

मुशर्रफ ने कहा था कि कश्मीर में आजादी के लिए संघर्ष जारी है और हाफिज से जुड़े लोग बेहतर काम कर रहे हैं। वो खुद कश्मीरी लड़कों के आंदोलन के समर्थक रहे हैं। आप को बता दें कि अमेरिका ने हाफिज को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर उसके ऊपर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा है। करीब 10 महीने पहले वो आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने के मामले में नजरबंद रहा लेकिन साक्ष्यों के अभाव में लाहौर हाइकोर्ट ने उसे रिहा कर दिया था। 
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