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फरवरी में जाधव मामले की सुनवाई करेगा आइसीजे

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने अगले साल फरवरी में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मुकदमे की सुनवाई करने का फैसला किया है।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 08:05 AM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 10:09 AM (IST)
फरवरी में जाधव मामले की सुनवाई करेगा आइसीजे
फरवरी में जाधव मामले की सुनवाई करेगा आइसीजे

इस्लामाबाद (प्रेट्र/आइएएनएस)। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने अगले साल फरवरी में भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मुकदमे की सुनवाई करने का फैसला किया है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आइसीजे 19 से 25 फरवरी के बीच इस मामले की सुनवाई करेगा। जाधव को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले साल अप्रैल में कथित तौर पर जासूसी के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी।

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भारत की तरफ से यह मामला उठाने के बाद आइसीजे ने सजा पर रोक लगा रखी है। पाकिस्तान का दावा है कि उसके सुरक्षाबलों ने जाधव को मार्च 2016 में बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया था। वह उनके ईरान से पाकिस्तान में घुसने की बात कह रहा है। लेकिन, भारत ने उसके दावों को खारिज कर दिया है। पिछले साल मई में भारत यह मामला लेकर अंतरराष्ट्रीय अदालत गया था। वहां उसने जाधव की फांसी के फैसले का विरोध किया था।

पाकिस्तान ने जाधव मामले पर आइसीजे को जवाब सौंपा

बता दें कि इसी साल जुलाई में पाकिस्तान ने भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को दोषी ठहराए जाने पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में अपना दूसरा लिखित जवाब दायर कराया था। 23 जनवरी को आइसीजे ने पाकिस्तान और भारत दोनों के लिए मामले में दूसरे दौर का जवाब दायर करने की समयसीमा तय की थी। 400 पृष्ठों के जवाब में उसने भारतीय आपत्ति का भी उत्तर दिया। हेग स्थित आइसीजे में भारत की ओर से 17 अप्रैल को सौंपी गई दलील का पाकिस्तान ने जवाब दिया।

क्‍या है भारत का पक्ष

भारत ने अपने हलफनामे में पाकिस्तान पर वियना संधि के उल्लंघन का आरोप लगाया है। भारत का पक्ष है कि जाधव को सुनवाई के दौरान कानूनी मदद तक नहीं लेने दी गई। भारत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत में जाधव के खिलाफ गलत आरोपों में एकतरफा सुनवाई पर अपनी आपत्ति जताई। भारत का कहना है कि जाधव अपने व्यापार के सिलसिले में ईरान गए थे, जहां से तालिबान ने उन्हें अगवा करके पाकिस्तानी एजेंसियों को सौंपा। भारत का कहना है कि ईरान से जाधव का अपहरण किया गया था, जहां नेवी से रिटायर होने के बाद वे बिजनेस के लिए गए थे।

पाकिस्तान का तर्क

इसके जवाब में पाकिस्‍तान ने 13 दिसंबर को दिए गए अपने पहले जवाबी हलफनामे में आइसीजे को बताया कि 1963 में कंसुलर रिलेशंस पर हुए वियना संधि के तहत कंसुलर एक्‍सेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में जैसे जासूसी या आतंकवाद आदि में गिरफ्तार विदेशी नागरिक को नहीं दी जा सकती। पाकिस्‍तान ने कहा कि चूंकि भारत ने भी इस बात से इंकार नहीं किया कि जाधव मुस्‍लिम नाम के पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे, इसलिए याचिका दर्ज कराने का कोई मामला ही नहीं।

पाक ने कहा कि भारत ने यह नहीं बताया कि एक नेवी कमांडर गलत नाम के साथ कैसे यात्रा कर रहा था। पाक ने यह भी कहा कि उस वक्‍त जाधव ड्यूटी पर थे तो यह निश्‍चित है कि उन्‍हें किसी विशेष मिशन पर जासूसी के तहत भेजा गया था। पाकिस्‍तान का दावा है कि इसके सुरक्षाबलों ने जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया था जब वे ईरान में प्रवेश कर चुके थे।


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