पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के शांति प्रस्ताव को लेकर भारत का ठंडा रुख
पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की तरफ से शांति को एक और मौका देने संबंधी प्रस्ताव को लेकर भारत का रुख बेहद ठंडा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की तरफ से शांति को एक और मौका देने संबंधी प्रस्ताव को लेकर भारत का रुख बेहद ठंडा है। आधिकारिक तौर पर भारत की तरफ से इस पर कोई प्रतिक्रिया भी नहीं जताई गई है।
सूत्रों के मुताबिक पुलवामा हमले के बाद सरकार की तरफ से पाकिस्तान को लेकर जो फैसला होना था वह सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) में हो चुकी है, सरकार उन फैसलों को लागू कर रही है। पीएम मोदी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि सेना को पूरी आजादी है कि वह देश की सुरक्षा को लेकर उचित कदम उठाये।
इस हफ्ते भारत की दो अहम कूटनीतिक बैठकों को देखते जानकार मान रहे हैं कि भारत की तरफ से कोई कार्रवाई इस हफ्ते संभव नहीं है। बुधवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाकात होनी है। इस बैठक के तीसरे दिन शुक्रवार को अबु धाबी में होने वाले आर्गेनाइजेश ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (ओआइसी) की बैठक है।
इस्लामिक देशों के इस 50 वर्ष पुरानी बैठक में पहली बार भारत को बतौर मेहमान बुलाया गया है। भारत इन दोनों कूटनीतिक अवसरों का पूरा फायदा उठाने की मंशा रखता है। चीन, रूस व भारत के विदेश मंत्रियों की तरफ से जारी होने वाले संयुक्त बयान के जरिए पाकिस्तान पर मौजूदा कूटनीतिक दबाव और बढ़ाने की कोशिश होगी। लेकिन भारतीय कूटनीति के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण ओआइसी की बैठक होगी। ओआइसी में अभी तक पाकिस्तान का ही चलता रहा है। अब भारतीय विदेश मंत्री इसके उद्घाटन सत्र में ही पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करने की तैयारी में है।
सूत्रों के मुताबिक पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से दुनिया भर के मुल्कों में पाकिस्तान के आतंकी हाथ को स्वीकार किया है वह भी एक वजह है कि भारत जल्दबाजी में सैन्य कार्रवाई नहीं करना चाहेगा। ओआइसी की तरफ से भारत को आमंत्रण मिलने के अलावा जिस तरह से सउदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कश्मीर पर अपने पुराने रुख में बदलाव करने के संकेत दिए है वह भी बेहद महत्वपूर्ण है।
भारत व सउदी अरब के संयुक्त बयान में कश्मीर में हिंसा को लेकर पाकिस्तान के तर्क को पूरी तरह से खारिज किया गया है। दक्षिण एशिया में बिगड़ते हालात को देखते हुए दुनिया के कई देश लगातार भारत के साथ राजनयिक संपर्क बनाये हुए हैं।